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Bilaspur Train Accident News: कैसे पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी में भीषण टक्कर हुई, कितने यात्री घायल

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मंगलवार शाम एक भीषण रेल दुर्घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया। बिलासपुर से महज कुछ किलोमीटर दूर लाल खदान क्षेत्र में एक लोकल पैसेंजर ट्रेन और खड़ी मालगाड़ी के बीच जबरदस्त टक्कर हो गई। हादसा इतना भयंकर था कि ट्रेन का पहला डिब्बा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, जिसमें कई यात्री सवार थे। टक्कर के तुरंत बाद यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई और आसपास के लोगों ने बचाव कार्य शुरू किया।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसा शाम करीब 4 बजे हुआ जब गेवरा रोड से बिलासपुर आ रही लोकल पैसेंजर ट्रेन (नंबर 68733), गतौरा और बिलासपुर स्टेशन के बीच पहुंची। इसी दौरान उसी ट्रैक पर खड़ी एक मालगाड़ी से उसकी भिड़ंत हो गई। शुरुआती जानकारी के अनुसार, मालगाड़ी अप लाइन पर पहले से रुकी हुई थी, और पैसेंजर ट्रेन को उसी ट्रैक पर क्लियरेंस मिल गया — जिससे यह भीषण हादसा हुआ।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, हादसे के बाद तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। घायलों को नजदीकी बिलासपुर जिला अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया है। वहीं कुछ यात्रियों की हालत गंभीर बताई जा रही है। हालांकि, अब तक रेलवे की ओर से आधिकारिक रूप से मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन कुछ यात्रियों की मौत की आशंका जताई जा रही है।

कैसे हुआ हादसा – जांच के घेरे में कई सवाल

प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि दुर्घटना अप लाइन पर हुई थी। उसी ट्रैक पर मालगाड़ी पहले से खड़ी थी और उसी समय पैसेंजर ट्रेन को भी उसी दिशा में जाने की अनुमति मिल गई। ट्रेन के ड्राइवर ने आपात ब्रेक लगाकर गाड़ी रोकने की कोशिश की, लेकिन दूरी बहुत कम होने के कारण टक्कर हो गई।

रेलवे सूत्रों का कहना है कि यह सिग्नलिंग सिस्टम या रूट डायवर्जन में तकनीकी गड़बड़ी का मामला हो सकता है। फिलहाल, रेलवे ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर चूक कहाँ हुई।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मालगाड़ी को ट्रैक पर खड़ा करना ही एक बड़ी गलती थी, जबकि कुछ का कहना है कि पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट को आगे खड़ी ट्रेन देखकर गाड़ी रोक लेनी चाहिए थी। जांच टीम इन दोनों ही संभावनाओं की गहराई से पड़ताल कर रही है।

प्रशासन और रेलवे की त्वरित कार्रवाई

जैसे ही हादसे की जानकारी मिली, रेलवे और जिला प्रशासन हरकत में आ गया। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक तरुण प्रकाश और बिलासपुर के डीआरएम राजमल खोईवाल खुद घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी की और मौके पर तैनात अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।

रेलवे ने मेडिकल टीम और रेस्क्यू ट्रेन को तुरंत रवाना किया। स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ की टीम और आसपास के ग्रामीणों ने भी बचाव अभियान में मदद की। कई यात्रियों को कोचों से निकालने के लिए गैस कटर की मदद ली गई। देर रात तक राहत कार्य जारी रहा।

घायलों की स्थिति और राहत व्यवस्था

अब तक दर्जनों यात्रियों के घायल होने की पुष्टि हुई है। उनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। जिला प्रशासन ने सभी अस्पतालों में आपातकालीन व्यवस्था लागू कर दी है। घायलों को इलाज के लिए नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।

मुख्यमंत्री ने भी इस घटना पर गहरा दुख जताया है और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। राज्य सरकार ने प्रभावित यात्रियों के लिए मुआवजा और सहायता राशि देने की घोषणा की है।

स्थानीय लोगों ने भी निभाई बड़ी भूमिका

हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंच गए और उन्होंने यात्रियों को सुरक्षित निकालने में रेलवे कर्मचारियों की मदद की। कई ग्रामीणों ने अपने वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। लोगों का कहना है कि हादसे के बाद घटनास्थल पर हालात बेहद भयावह थे — ट्रेन का पहला डिब्बा पूरी तरह कुचल गया था और आसपास लोहा व डिब्बों के टुकड़े बिखरे पड़े थे।

रेलवे यातायात पर असर

दुर्घटना के बाद बिलासपुर-गेवरा रेल मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। कई ट्रेनें रद्द की गईं या उन्हें दूसरे मार्गों से डायवर्ट किया गया। अप लाइन पर सफर कर रहे यात्रियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ा। रेलवे ने घोषणा की है कि ट्रैक को जल्द से जल्द बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि यातायात सामान्य हो सके।

तकनीकी जांच और भविष्य के लिए सबक

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अब सिस्टम में ऑटोमैटिक ट्रैक क्लियरेंस अलर्ट सिस्टम, सेंसर आधारित सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी, और AI मॉनिटरिंग सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह हादसा एक बड़ी चेतावनी है कि रेलवे को अपने सुरक्षा मानकों और ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम को और उन्नत करना होगा। देशभर में बढ़ते रेल यातायात के बीच ऐसी घटनाएँ न केवल यात्रियों के लिए बल्कि रेलवे की साख के लिए भी चिंता का विषय हैं।

निष्कर्ष

बिलासपुर रेल हादसा एक बार फिर यह दिखाता है कि छोटी सी तकनीकी गलती या लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है। राहत की बात यह है कि प्रशासन और स्थानीय लोगों ने तुरंत मदद की और कई यात्रियों की जान बचाई। अब सभी की नजरें रेलवे की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि असल में चूक कहाँ हुई और आगे ऐसी दुर्घटनाओं को कैसे रोका जाएगा।

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