
मुंबई लोकल में मानवता की मिसाल: वीडियो कॉल पर डॉक्टर की मदद से हुई महिला की डिलीवरी
Mumbai Local Delivery News 2025 – मुंबई जैसे तेज रफ्तार शहर में जहां हर मिनट कीमती होता है, वहीं एक शख्स ने इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की कि पूरा देश उसकी तारीफ कर रहा है। एक आम आदमी ने रात के अंधेरे में एक महिला और उसके बच्चे की जान बचाने के लिए वो काम किया, जो शायद किसी डॉक्टर से भी कम नहीं था।
यह घटना मंगलवार की रात करीब 1 बजे की है, जब एक महिला को मुंबई की लोकल ट्रेन में अचानक लेबर पेन (प्रसव पीड़ा) शुरू हो गई। ट्रेन राम मंदिर स्टेशन (Ram Mandir Station) के पास पहुंच रही थी, तभी यह अप्रत्याशित स्थिति बन गई।
कैसे एक सामान्य व्यक्ति बना ‘रियल लाइफ हीरो’
ट्रेन में यात्रा कर रहे विकास बेदरे (Vikas Bedre), जो एक वीडियोग्राफर हैं, उस वक्त दूसरे डिब्बे में बैठे थे। उन्होंने अचानक पड़ोसी डिब्बे से आ रही मदद की पुकार सुनी। जैसे ही उन्हें पता चला कि एक महिला को प्रसव पीड़ा हो रही है और स्थिति गंभीर है, उन्होंने बिना सोचे समझे ट्रेन की इमरजेंसी चेन खींच दी ताकि ट्रेन रोकी जा सके।
मंजीत ढिल्लों नाम की एक महिला, जो इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी थीं, ने इंस्टाग्राम पर पूरी कहानी साझा की। उन्होंने लिखा,
“यह शख्स सच में बहादुर है। शब्द भी कम पड़ जाएं इसकी हिम्मत बताने के लिए। बच्चा आधा बाहर आ चुका था और आधा अंदर था। ऐसा लगा मानो भगवान ने उसे वहां सही समय पर भेजा हो।”
वीडियो कॉल पर डॉक्टर ने दी गाइडेंस
विकास ने तुरंत अपने डॉक्टर दोस्त देविका देशमुख को फोन लगाया। स्थिति की गंभीरता समझते हुए डॉक्टर ने वीडियो कॉल पर स्विच किया और उन्हें डिलीवरी की प्रक्रिया के हर कदम की गाइडलाइन दी।
डॉक्टर ने बाद में एक मराठी न्यूज़ चैनल से बातचीत में बताया कि विकास ने स्टेशन के एक चाय वाले से कैंची मंगाई और आसपास के लोगों से चादरें और कपड़े जुटाए ताकि महिला को प्राइवेसी और साफ जगह मिल सके।
“विकास बहुत डरे हुए थे, लेकिन मैंने उन्हें हर कदम पर गाइड किया। उन्होंने पूरी हिम्मत से काम किया और महिला की सुरक्षित डिलीवरी कराई,” डॉक्टर देविका ने कहा।
विकास बेदरे की कहानी: “मैं डर गया था, लेकिन मदद करनी जरूरी थी”
विकास ने बताया कि वे उस रात फ्लाइट पकड़ने के लिए जा रहे थे, लेकिन जैसे ही उन्हें स्थिति का अंदाजा हुआ, उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी और महिला की मदद में जुट गए।
“सच कहूं तो मैं बहुत डर गया था। लेकिन देविका की हिम्मत और गाइडेंस ने मुझे साहस दिया। मैंने बस वही किया जो उन्होंने बताया,” विकास ने कहा।
उनकी सूझबूझ और तुरंत कार्रवाई से न केवल महिला की बल्कि उसके बच्चे की जान भी बच गई।
रेलवे प्लेटफॉर्म बना अस्थायी डिलीवरी रूम
राम मंदिर स्टेशन का प्लेटफॉर्म उस रात कुछ देर के लिए इमरजेंसी वार्ड में बदल गया था। कई यात्री महिला की मदद करने के लिए आगे आए, किसी ने पानी दिया, किसी ने चादरें बिछाईं।
डिलीवरी के बाद ट्रेन में मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर विकास की सराहना की। बाद में महिला और उसके नवजात बच्चे को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दोनों की हालत अब स्थिर और स्वस्थ बताई जा रही है।
सोशल मीडिया पर बाढ़ आई तारीफों की
इस पूरी घटना का एक छोटा वीडियो क्लिप मंजीत ढिल्लों ने इंस्टाग्राम पर साझा किया, जो अब वायरल हो चुका है। हजारों लोगों ने विकास को “रियल लाइफ Rancho” कहा — यानी फिल्म 3 Idiots के उस किरदार की तरह, जो मुश्किल वक्त में समझदारी से काम करता है।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लिखा:
“ऐसे लोग ही असली हीरो होते हैं।”
“जहां लोग वीडियो बनाते रहते हैं, वहां इसने जीवन बचाया।”
“विकास बेदरे ने दिखा दिया कि इंसानियत अब भी जिंदा है।”
महिला को अस्पताल में पहले नहीं मिला था इलाज
मंजीत ढिल्लों ने अपने पोस्ट में यह भी बताया कि महिला के परिवार ने उसे पहले नजदीकी अस्पताल ले जाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें कहा गया कि वहां डिलीवरी संभव नहीं है। मजबूर होकर परिवार उसे वापस ट्रेन में लेकर आ गया था ताकि किसी बड़े अस्पताल तक पहुंचा जा सके।
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था — और इसी सफर में विकास जैसे फरिश्ते की मौजूदगी ने दो जिंदगियां बचा लीं।
इस घटना ने फिर जगाई इंसानियत में भरोसा
आज जब सोशल मीडिया पर नफरत और ट्रोलिंग की खबरें छाई रहती हैं, ऐसे में यह घटना हमें याद दिलाती है कि मानवता (Humanity) अब भी जिंदा है।
एक वीडियो कैमरा मैन, जो अपनी उड़ान पकड़ने जा रहा था, अचानक एक डॉक्टर बन गया और एक अजनबी महिला की जान बचा ली। यह कहानी न केवल मुंबई बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा बन गई है।
सराहना और सम्मान की मांग
कई लोगों ने अब सोशल मीडिया पर विकास बेदरे को सम्मानित करने की मांग की है। रेलवे प्रशासन और महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया जा रहा है कि ऐसे साहसी और मानवीय कार्यों को पहचान दी जाए।
डॉक्टर देविका देशमुख की भूमिका भी कम नहीं रही — उनकी तुरंत प्रतिक्रिया और पेशेवर गाइडेंस के बिना यह मुमकिन नहीं था।
निष्कर्ष: मुंबई लोकल में जन्मी उम्मीद की नई कहानी
मुंबई की लोकल ट्रेनें सिर्फ शहर की लाइफलाइन नहीं हैं — वे यहां की भावनाओं, रिश्तों और मानवता की गवाही भी देती हैं।
विकास बेदरे की कहानी यह साबित करती है कि हीरो बनने के लिए ना तो सुपरपावर चाहिए, ना बड़ा मंच — बस जरूरत होती है दिल में इंसानियत और सही वक्त पर सही फैसला लेने की हिम्मत की।



