
India-US-Russia Oil Trade Update 2025: विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान पर स्पष्ट प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में साफ शब्दों में कहा,
“मेरी जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच कल किसी भी तरह की टेलीफोनिक बातचीत नहीं हुई है।”
दरअसल, ट्रम्प ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मोदी ने उनसे वादा किया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने यह भी कहा कि, “मोदी एक महान व्यक्ति हैं, वे ट्रम्प से प्रेम करते हैं। हालांकि मैं इस शब्द ‘प्रेम’ को किसी और अर्थ में नहीं लेना चाहता क्योंकि मैं उनकी राजनीतिक स्थिति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।”
यह बयान जैसे ही सामने आया, भारत की ओर से तुरंत स्पष्टीकरण आया ताकि किसी तरह की गलतफहमी या राजनीतिक विवाद न बढ़े।
भारत की ऊर्जा नीति पर विदेश मंत्रालय का बयान
रंधीर जायसवाल ने साफ किया कि भारत एकतरफा प्रतिबंधों (Unilateral Sanctions) का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा कि भारत की पहली जिम्मेदारी अपने नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा,
“भारतीय कंपनियां ऊर्जा आपूर्ति के लिए दुनिया के अलग-अलग देशों से खरीद करती हैं और यह निर्णय हमेशा बाजार की स्थिति और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर लिया जाता है। हम यह भी कहना चाहेंगे कि ऊर्जा व्यापार के मामले में दोहरे मापदंड नहीं अपनाए जाने चाहिए।”
यह बयान तब आया है जब ब्रिटेन ने गुजरात स्थित नायरा रिफाइनरी (Nayara Refinery) पर रूस से तेल खरीदने को लेकर प्रतिबंध लगाए हैं। भारत ने इस कदम को अनुचित बताया है और साफ कहा कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रह सकता।
अमेरिका से ऊर्जा आयात बढ़ाने पर विचार
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यदि रूस से तेल की आपूर्ति में कोई कमी आती है तो भारत अमेरिका से अपनी ऊर्जा आयात (Energy Imports) बढ़ाने पर विचार कर सकता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच इस दिशा में बातचीत जारी है।
हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका से तेल और गैस खरीद में काफी वृद्धि की है, जिससे व्यापारिक रिश्तों को भी मजबूती मिली है।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान विवाद पर भारत की पैनी नजर
विदेश मंत्रालय ने क्षेत्रीय स्थिति पर भी बयान दिया। रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर लगातार नजर रखे हुए है।
उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा,
“तीन बातें साफ हैं — पहली, पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। दूसरी, अपनी नाकामियों के लिए हमेशा पड़ोसियों को जिम्मेदार ठहराता है। तीसरी, पाकिस्तान अफगानिस्तान की संप्रभुता से नाराज है।”
उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, अखंडता और स्वतंत्रता के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और हमेशा वहां के लोगों के साथ खड़ा रहेगा।
चीन के साथ व्यापारिक बातचीत जारी
रंधीर जायसवाल ने चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर भी अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि दुर्लभ धातुओं (Rare Earths) से जुड़े मुद्दों पर दोनों देशों के बीच वार्ता जारी है।
उन्होंने कहा,
“तियानजिन में दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात में इस बात पर जोर दिया गया कि राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को आगे बढ़ाया जाए ताकि व्यापार घाटा कम किया जा सके। दुर्लभ धातुओं पर बातचीत जारी है और इसमें सकारात्मक प्रगति हो रही है।”
भारत इन धातुओं के आयात में अंतरराष्ट्रीय मानकों और एंड-यूज़र सर्टिफिकेशन का पालन करता है ताकि किसी तरह का विवाद न हो।
यूक्रेन में भारतीय नागरिक की गिरफ्तारी पर भारत का रुख
यूक्रेन से जुड़ी खबरों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत स्थानीय अधिकारियों से संपर्क में है। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि एक भारतीय नागरिक को गिरफ्तार किया गया है, और भारत यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि उसके साथ उचित व्यवहार किया जाए।
विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि वहां की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर भारतीय नागरिकों को सहायता दी जाएगी।
अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती भूमिका
विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी पर भी जानकारी दी। जायसवाल ने बताया कि भारत मानवीय सहायता के रूप में 20 एम्बुलेंस दान कर चुका है और स्वास्थ्य क्षेत्र में आगे और भी काम करने की योजना है।
उन्होंने कहा,
“काबुल में हमारे तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास (Embassy) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में पूरी हो जाएगी। भारत अफगानिस्तान के लोगों की भलाई के लिए लगातार काम कर रहा है।”
यह कदम भारत की दक्षिण एशिया नीति को मजबूत करेगा और क्षेत्र में स्थिरता लाने के प्रयासों को बढ़ावा देगा।
निष्कर्ष: भारत का संदेश साफ — राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
ट्रम्प के बयान पर भारत की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि देश किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आने वाला। भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा नीति, व्यापारिक निर्णय और कूटनीतिक रिश्तों को केवल अपने राष्ट्रीय हितों (National Interests) के आधार पर तय करेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते समीकरणों के बीच भारत की यह स्थिति बताती है कि नई दिल्ली अब एक आत्मविश्वासी और संतुलित वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रही है, जो न तो दबाव में झुकती है और न ही किसी के कहने पर अपनी नीतियों में बदलाव करती है।



