
दिल्ली एक बार फिर सर्दियों की शुरुआत के साथ भीषण वायु प्रदूषण की चपेट में है। राजधानी में हवा इस कदर ज़हरीली हो चुकी है कि दृश्यता बेहद कम हो गई है और आम लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है। हर साल दोहराया जाने वाला यह संकट इस बात की ओर इशारा करता है कि समस्या उपायों की कमी नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, आपसी समन्वय और जवाबदेही की कमी है।
अस्पतालों में बढ़े सांस के मरीज
डॉक्टरों के अनुसार, बीते दो दिनों में दिल्ली के कई अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई ऐसे मरीज भी दोबारा गंभीर लक्षणों के साथ सामने आ रहे हैं, जिनकी हालत पहले स्थिर हो चुकी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा प्रदूषण स्तर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए बेहद खतरनाक है।
प्रदूषण के पीछे कई कारण
वायु गुणवत्ता के इस तेज़ी से बिगड़ने के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं, जिनमें शामिल हैं:
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औद्योगिक उत्सर्जन
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वाहनों से निकलने वाला धुआं
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तापमान में गिरावट
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कम हवा की गति
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पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की मौसमी समस्या
इन सभी कारणों का संयुक्त प्रभाव दिल्ली की हवा को हर सर्दी में जहरीला बना देता है।
AQI बेहद गंभीर स्तर पर
सरकार के SAFAR ऐप के अनुसार, सोमवार सुबह दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 471 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के अनुसार:
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101–200: मध्यम
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201–300: खराब
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301–400: बहुत खराब
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400 से ऊपर: गंभीर
हालांकि सरकारी ऐप्स में AQI की अधिकतम सीमा 500 तक दिखाई जाती है, जबकि निजी और अंतरराष्ट्रीय मॉनिटरिंग सिस्टम कई बार इससे भी ज्यादा स्तर दर्ज करते हैं।
अचानक बिगड़ी हवा
पिछले सप्ताह दिल्ली की हवा में कुछ सुधार देखा गया था, जब AQI ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ के बीच बना हुआ था। लेकिन शनिवार के बाद अचानक हालात बिगड़ गए और प्रदूषण फिर से गंभीर स्तर पर पहुंच गया।
हर साल वही सवाल
हर सर्दी दिल्ली में उठने वाला यह सवाल अब और भी गंभीर हो गया है—क्या प्रदूषण को कभी राष्ट्रीय आपातकाल की तरह लिया जाएगा?
राजधानी के लाखों लोग हर साल जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, लेकिन स्थायी समाधान अब भी दूर नजर आता है।



