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Dhanteras: अब Gen Z नहीं खरीद रही सोना, डिजिटल गोल्ड और म्यूचुअल फंड बने नए निवेश के प्रतीक!

Dhanteras का बदलता चेहरा: जब सोने की जगह ली डिजिटल गोल्ड और म्यूचुअल फंड ने

सदियों से Dhanteras का नाम सुनते ही दिमाग में सोने की चमक आ जाती थी। इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह धन, समृद्धि और लक्ष्मी माता का आशीर्वाद पाने का प्रतीक रहा है। लेकिन समय के साथ चीजें बदल रही हैं — और अब भारत की नई पीढ़ी सोने के सिक्कों से ज्यादा डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड और ETF (Exchange Traded Funds) में निवेश करना पसंद कर रही है।

आज का निवेशक सिर्फ परंपरा नहीं निभाता, बल्कि उसे सुविधा, सुरक्षा और रिटर्न्स की भी चिंता रहती है। यही कारण है कि धनतेरस की परिभाषा अब बदल चुकी है — जहां पहले खरीदारी सिर्फ सोने के गहनों या चांदी के बर्तनों तक सीमित थी, वहीं अब डिजिटल इन्वेस्टमेंट ऐप्स और ऑनलाइन गोल्ड बांड्स त्योहार की नई पहचान बन गए हैं।


“सोना अभी भी है पसंदीदा, पर तरीका बदल गया है” — बैंक अधिकारी

कोलकाता के एक बैंक अधिकारी बताते हैं कि सोने की चमक अब भी बरकरार है, लेकिन खरीदने का तरीका पूरी तरह बदल गया है।
उन्होंने कहा, “सोने के दाम बहुत ज्यादा हैं, इसलिए लोग अब ऑनलाइन गोल्ड या गोल्ड फंड्स में निवेश कर रहे हैं। पहले लोग गहने या सिक्के खरीदते थे, अब वही निवेश म्यूचुअल फंड या ETF के जरिए करते हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि अब धनतेरस पर खास तौर पर इक्विटी ट्रेडिंग में कमी आई है, लेकिन युवा पूरे साल निवेश करते रहते हैं। “नया जेनरेशन त्योहारों पर एक बार निवेश नहीं करता, बल्कि सालभर धीरे-धीरे पोर्टफोलियो बनाता है,” उन्होंने कहा।


फिनटेक ऐप्स ने बदला निवेश का नजरिया

Groww, Zerodha और Upstox जैसे फिनटेक ऐप्स ने युवाओं के निवेश करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है।
कोलकाता के एक युवा बैंकर के अनुसार, “अगर मैं Groww या Zerodha पर ट्रेड करता हूं और अनुभव अच्छा है, तो मैं अपने दोस्तों को भी बताता हूं। यह भरोसे और सुविधा पर आधारित है।”

यानी अब निवेश माउथ पब्लिसिटी और डिजिटल विश्वास से आगे बढ़ रहा है। जहां एक समय परिवार के बड़े बुजुर्ग सलाह देते थे कि “धनतेरस पर सोना खरीदो”, वहीं अब सोशल मीडिया और ऐप्स यह सिखा रहे हैं कि “गोल्ड में भी ऑनलाइन निवेश करो — बिना टैक्स, बिना झंझट।”


कॉपर और सिल्वर बन सकते हैं अगला गोल्ड

एक प्रमुख एसेट मैनेजमेंट कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आज की युवा पीढ़ी बेहद जागरूक है। गोल्ड अपनी ऊंचाई पर है, सिल्वर अगले गोल्ड की तरह उभर रहा है और कॉपर आने वाले समय का नया इन्वेस्टमेंट ट्रेंड बन सकता है।”

उनका कहना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के आने से अब कमोडिटी ट्रेडिंग पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गई है।
“पहले हमारे माता-पिता या दादा-दादी के पास ऐसी सुविधा नहीं थी। आज मोबाइल ऐप पर ETF या कमोडिटी फंड में निवेश करना बेहद सरल हो गया है,” उन्होंने जोड़ा।

उन्होंने यह भी बताया कि आज के युवा कम उम्र में आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो जाते हैं।
“20 से 30 की उम्र में जब जिम्मेदारियां कम होती हैं, तब वे बचत और निवेश पर ज्यादा ध्यान दे सकते हैं,” उन्होंने कहा।


डिजिटल गोल्ड: परंपरा और तकनीक का संतुलन

23 वर्षीय अनिर्बन साहा के लिए डिजिटल गोल्ड परंपरा और आधुनिकता का बेहतरीन मेल है। वह कहते हैं,
“फिजिकल गोल्ड में सुरक्षा की दिक्कत होती है। चोरी का डर, मेकिंग चार्जेज़ और मेंटेनेंस की झंझटें होती हैं। लेकिन डिजिटल गोल्ड सुरक्षित और आसान है।”

अनिर्बन हर धनतेरस पर डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं ताकि परंपरा भी बनी रहे और निवेश भी समझदारी भरा हो।
“मैं हिंदू परंपरा से जुड़ा हूं, इसलिए धनतेरस पर गोल्ड जरूर खरीदता हूं। लेकिन Gen Z होने के नाते मैं अब गोल्ड बांड्स या डिजिटल गोल्ड में निवेश करता हूं, गहनों में नहीं।”

वह कहते हैं, “निवेश एक सतत प्रक्रिया है, जो सालभर चलती रहती है। धनतेरस मुझे बस यह याद दिलाता है कि अब सही वित्तीय निर्णय लेने का समय है।”


“हर दिन धनतेरस है, अगर समझदारी से निवेश करें” — सिद्धांता चंद्रा

23 वर्षीय सिद्धांता चंद्रा का मानना है कि निवेश कोई एक दिन का काम नहीं, बल्कि रोज़ की सोच है।
वह कहते हैं, “हम बचपन से देखते आए हैं कि माता-पिता LIC और FD में पैसा लगाते थे। लेकिन जब मैंने क्लास 11 में एसेट्स और मार्केट के बारे में पढ़ा, तब समझ आया कि असली ग्रोथ तो शेयर मार्केट और डिजिटल इन्वेस्टमेंट्स में है।”

सिद्धांता का मंत्रा है — “हर दिन धनतेरस है, अगर आप समझदारी से निवेश करें।”
उनका मानना है कि शेयर मार्केट में मौके बहुत हैं, लेकिन सतर्कता जरूरी है। “मार्केट में मैनिपुलेशन भी होता है, इसलिए गोल्ड हमेशा ‘सेफ एसेट’ रहेगा। इसे आखिरी विकल्प के तौर पर ही बेचें,” उन्होंने कहा।


धनतेरस अब सिर्फ एक दिन नहीं, आर्थिक अनुशासन का प्रतीक है

24 वर्षीय आरात्रिक चक्रवर्ती, जो एक IT प्रोफेशनल हैं, मानते हैं कि निवेश जीवन का जरूरी हिस्सा है।
वह कहते हैं, “मेरे लिए निवेश का मकसद वित्तीय स्थिरता और पैसिव इनकम का स्रोत बनाना है। सोशल मीडिया और दोस्तों ने मुझे प्रेरित किया, क्योंकि मैंने देखा कि जिन्होंने जल्दी निवेश शुरू किया, वे आज अधिक सुरक्षित हैं।”

हालांकि वे मानते हैं कि परंपरा की अहमियत अब भी बनी हुई है।
“मैं हर धनतेरस पर अपनी मां के लिए एक छोटा गहना या चांदी का आइटम जरूर खरीदता हूं, क्योंकि यह शुभ है। लेकिन मेरा असली निवेश डिजिटल गोल्ड और म्यूचुअल फंड में होता है,” उन्होंने कहा।

आरात्रिक बताते हैं, “प्रॉपर्टी और गोल्ड लंबे समय में स्थिर निवेश हैं, लेकिन डिजिटल इन्वेस्टमेंट्स अगर समझदारी से किए जाएं, तो बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि ये रिस्की हैं, इसलिए ज्ञान और अनुशासन जरूरी है।”


“सोने में निवेश तब सही जब जिम्मेदारियां बढ़ें” — सौहार्द्य घोष

24 वर्षीय सौहार्द्य घोष, जिन्होंने 2023 में निवेश शुरू किया, मानते हैं कि जोखिम उठाना उनकी उम्र का हिस्सा है।
“मैं अभी अविवाहित हूं, इसलिए इक्विटी में रिस्क लेने से नहीं डरता। गोल्ड में निवेश तब सही लगता है जब परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं,” उन्होंने कहा।

सौहार्द्य बताते हैं कि उनके निवेश निर्णय गट फीलिंग और मार्केट रिसर्च पर आधारित होते हैं। “हर निवेश एक अनुभव है। कभी मुनाफा, कभी सीख — लेकिन रुकना नहीं चाहिए,” वे मुस्कराते हुए कहते हैं।


निष्कर्ष: परंपरा और तकनीक का संगम ही नया निवेश मंत्र

आज की पीढ़ी के लिए धनतेरस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि आर्थिक जिम्मेदारी की शुरुआत है।
जहां पहले लोग सिर्फ सोना खरीदकर शुभ मानते थे, वहीं अब युवा डिजिटल गोल्ड, म्यूचुअल फंड और ETF के जरिए लगातार निवेश को ही असली संपन्नता मानते हैं।

कोलकाता के युवा साबित कर रहे हैं कि परंपरा और तकनीक साथ-साथ चल सकते हैं — फर्क सिर्फ नजरिए का है।
सोने की चमक अब भी बरकरार है, बस उसकी चमक अब मोबाइल स्क्रीन पर दिखाई देती है।

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