
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण विवाद को शांत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। 2 सितंबर 2025 को राज्य सरकार ने घोषणा की कि मराठा समुदाय के उन सदस्यों को, जिनके पास ‘हैदराबाद गजट’ से जुड़े प्रमाण हैं, उन्हें ‘कुनबी’ जाति का दर्जा दिया जाएगा। यह कदम महाराष्ट्र में लंबे समय से चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन के समाधान के रूप में देखा जा रहा है।
क्यों हुआ यह फैसला?
मराठा समाज, जो historically एक सशक्त समुदाय रहा है, लंबे समय से सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहा था। महाराष्ट्र सरकार द्वारा दी गई इस घोषणा का उद्देश्य मराठा समुदाय को OBC (Other Backward Class) श्रेणी में शामिल करना है, ताकि वे आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकें।
हैदराबाद गजट के तहत मराठा समुदाय को ‘कुनबी’ जाति का दर्जा दिया गया है, जो पहले ओबीसी श्रेणी में शामिल नहीं था। इस फैसले के बाद, राज्य सरकार के मुताबिक मराठा समुदाय के लोग अब सांसद, विधानसभा चुनावों, और सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
मराठा समाज ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन इस पर सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया भी मिली है। कई राजनीतिक दलों और समाज के अन्य वर्गों ने इस फैसले का विरोध किया है। विरोधियों का कहना है कि इस निर्णय से पहले से आरक्षण का लाभ उठा रहे अन्य समुदायों के लिए अवसरों में कमी आ सकती है।
पार्टी जैसे शिवसेना और एनसीपी ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है, जबकि भा.ज.पा. ने इसे एक ऐतिहासिक कदम और समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार देने वाला बताया है।
फैसले का प्रभाव
यह फैसला कई मुलायम समाजों के लिए सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि अब उन्हें आरक्षण के तहत शैक्षिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में प्रवेश प्राप्त हो सकेगा। इससे मराठा समुदाय को नौकरी और शिक्षा में बेहतर अवसर मिलेंगे, जो उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान में सहायक होंगे।
हालांकि, विपक्षी दल इस फैसले को चुनावी लाभ के रूप में देख रहे हैं, जबकि सरकार इसे न्यायिक रूप से सही मानती है।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र सरकार का यह निर्णय समाज के बड़े हिस्से को राहत देने वाला साबित हो सकता है, खासकर उन युवाओं के लिए जो शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभ से वंचित रह गए थे। साथ ही, यह फैसला राज्यों में सामाजिक समीकरण को लेकर एक नया परिपेक्ष्य पेश करता है।
यह आरक्षण का मुद्दा भारतीय राजनीति और समाज में गहरे प्रभाव डालता है, और आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि इस निर्णय के बाद मराठा समाज के युवा किस प्रकार इसे अपने लाभ में बदल पाते हैं।