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Zepto Delivery Woman Story | 50% दिव्यांग वीणा देवी की प्रेरणादायक कहानी

Zepto Delivery Woman Story: सोशल मीडिया पर हर दिन हजारों वीडियो वायरल होते हैं, लेकिन कुछ वीडियो दिल को छू जाते हैं और ज़िंदगी देखने का नज़रिया ही बदल देते हैं। ऐसा ही एक भावुक कर देने वाला वीडियो इन दिनों इंटरनेट पर छाया हुआ है, जिसमें Zepto की एक 52 वर्षीय डिलीवरी महिला अपनी मुस्कान, मेहनत और जज़्बे से लाखों लोगों को प्रेरणा दे रही है। इस महिला का नाम है वीणा देवी, जो 50 प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद रोज़ाना डिलीवरी का काम कर रही हैं और आत्मसम्मान के साथ अपनी ज़िंदगी जी रही हैं।

यह पूरी कहानी तब सामने आई जब इंस्टाग्राम यूज़र मल्लिका अरोड़ा ने एक वीडियो शेयर किया। वीडियो में मल्लिका अपनी Zepto डिलीवरी एजेंट से बातचीत करती नजर आती हैं। शुरू में यह बातचीत बिल्कुल सामान्य लगती है, लेकिन जैसे-जैसे महिला की सच्चाई सामने आती है, पूरा वीडियो भावनाओं से भर जाता है।

 

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वीडियो में मल्लिका पूछती हैं कि वह क्या काम करती हैं। इस पर 52 साल की वीणा देवी गर्व से बताती हैं कि वह Zepto में डिलीवरी एजेंट हैं। जब मल्लिका उनके पैरों के बारे में पूछती हैं, तो वीणा शांत लेकिन मजबूत आवाज़ में बताती हैं कि वह 50 प्रतिशत दिव्यांग हैं और पिछले साल जून से लगातार काम कर रही हैं। उनके चेहरे पर किसी भी तरह की शिकायत नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और संतोष साफ झलकता है।

यह सुनकर मल्लिका भावुक हो जाती हैं और उनसे पूछती हैं कि वह उनकी मदद कैसे कर सकती हैं। इस पर वीणा देवी का जवाब हर किसी का दिल जीत लेता है। वह सिर्फ इतना कहती हैं—“बस मुझे सपोर्ट करते रहिए।” न कोई शिकायत, न कोई मांग, सिर्फ सम्मान और सहयोग की एक सधी हुई अपील।

बातचीत के अंत में मल्लिका भावुक होकर कहती हैं, “मैं आप पर बहुत गर्व करती हूं, ऐसे ही आगे बढ़ते रहिए।” इसके बाद वह कैमरा खुद की ओर घुमाकर अपने फॉलोअर्स से कहती हैं कि हम लोग ज़िंदगी की छोटी-छोटी परेशानियों पर कितना आसानी से शिकायत करने लगते हैं, जबकि वीणा जैसी महिलाएं हर दिन संघर्ष के बावजूद मुस्कान के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात ने उन्हें यह एहसास दिला दिया कि ज़िंदगी कितनी कीमती है।

इस वीडियो के कैप्शन में मल्लिका अरोड़ा ने लिखा, “आज मैंने 52 साल की Zepto डिलीवरी लेडी को देखा जो 50% पैरालाइज्ड हैं, फिर भी मुस्कुराते हुए पूरे जोश के साथ काम कर रही हैं। उस पल मुझे समझ आया कि कुछ लोग सिर्फ जीते नहीं हैं, वो हर दिन लड़ते हैं। उन्होंने सिर्फ एक ऑर्डर डिलीवर नहीं किया, उन्होंने प्रेरणा डिलीवर की है।”

यह वीडियो पोस्ट होते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कुछ ही घंटों में इसे लाखों बार देखा गया। हजारों लोगों ने कमेंट कर वीणा देवी को सलाम किया। लोग उनकी मुस्कान, उनके साहस और उनके संघर्ष को देखकर भावुक हो गए। किसी ने लिखा कि यह असली हीरो हैं, तो किसी ने कहा कि आज के युवाओं को इनसे सीख लेनी चाहिए।

खास बात यह रही कि खुद Zepto कंपनी ने भी इस पोस्ट पर कमेंट किया और गर्व जताया कि वीणा देवी उनकी टीम का हिस्सा हैं। Zepto की ओर से लिखा गया कि वे अपने सभी डिलीवरी पार्टनर्स की मेहनत और समर्पण को सलाम करते हैं और वीणा देवी जैसी प्रेरणादायक महिलाओं पर उन्हें विशेष गर्व है।

वीणा देवी की यह कहानी लोगों को सिर्फ इसलिए नहीं छू गई कि वह दिव्यांग हैं, बल्कि इसलिए कि उन्होंने अपनी कमजोरी को कभी अपनी पहचान नहीं बनने दिया। 52 साल की उम्र में, जब कई लोग आराम की ज़िंदगी की कल्पना करते हैं, वह घर-घर जाकर लोगों तक उनकी ज़रूरतें पहुंचा रही हैं। वह रोज़ सड़क पर उतरती हैं, ट्रैफिक से जूझती हैं, मौसम की मार झेलती हैं और फिर भी चेहरे पर मुस्कान बनाए रखती हैं।

उनकी कहानी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि असली ताकत शरीर में नहीं, बल्कि मन में होती है। उन्होंने यह सिखाया कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर हौसला मजबूत हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है।

आज के समय में जब सोशल मीडिया पर लोग छोटी-छोटी बातों पर निराश हो जाते हैं, नौकरी को लेकर शिकायत करते हैं, ज़िंदगी की परेशानियों से हार मान लेते हैं—वीणा देवी जैसी महिलाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि संघर्ष ही हमें मजबूत बनाता है।

उनकी कहानी सिर्फ एक डिलीवरी वर्कर की नहीं है, बल्कि उस पूरे वर्ग की है जो चुपचाप अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाता है, बिना किसी शोर-शराबे के, बिना किसी दिखावे के। वह उन लाखों जज़्बों की आवाज़ हैं, जो हर दिन संघर्ष से लड़ते हैं और फिर भी मुस्कराना नहीं भूलते।

आज वीणा देवी का नाम लाखों लोगों को पता चल चुका है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि वह सिर्फ Zepto की डिलीवरी पार्टनर नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल हैं। लोग यह भी कह रहे हैं कि ऐसी कहानियों को स्कूलों में बच्चों को दिखाया जाना चाहिए, ताकि उन्हें असली ज़िंदगी के हीरो पहचान में आएं।

इस कहानी का असर सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है। यह हर उस इंसान के लिए सीख है जो यह सोचता है कि उसकी ज़िंदगी बहुत मुश्किल है। वीणा देवी यह सिखाती हैं कि मुश्किलें ज़िंदगी को खत्म नहीं करतीं, बल्कि उसे और मजबूत बनाती हैं।

आज जब लोग तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में खुद को अकेला महसूस करते हैं, वीणा देवी की यह मुस्कान, उनका जज़्बा और उनका आत्मसम्मान हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची खुशी हालात में नहीं, हौसले में होती है।

उनकी यह कहानी सिर्फ एक वायरल वीडियो नहीं है, यह उम्मीद की एक नई किरण है। यह बताती है कि इंसान चाहे 50% दिव्यांग ही क्यों न हो, उसका हौसला 100% होना चाहिए। वीणा देवी ने आज पूरे देश को यही सिखाया है।

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