
नवंबर 2025 में Devuthni Ekadashi यानी देवउठनी एकादशी (जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं) का मुख्य दिन 1 नवंबर 2025 को है।
पंचांग के अनुसार इस एकादशी तिथि की अवधि 1 नवंबर की सुबह 9:11 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर की सुबह तक रहती है।
कुछ स्रोतों के अनुसार व्रत / उद्या तिथि को ध्यान में रखते हुए इसे 2 नवंबर को करना शुभ बताया गया है।
Devuthni Ekadashi दिन की धार्मिक एवं सामाजिक मान्यताएँ
भगवान विष्णु का जागरण
Devuthni Ekadashi का अर्थ है – ‘देवों (विशेषतः विष्णु) का उठना’। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु चार महीने की योग-निद्रा (चातुर्मास) के बाद इस दिन जागते हैं।
इस जागरण का प्रतीकार्थ यह है कि अब शुभ कामों का समय आरंभ होता है – विवाह, गृह-प्रवेश, नई शुरुआत आदि।
शुभ कार्यों की पुनरारंभ
चातुर्मास (जब भगवान चार महीने सोते हैं) की अवधि में शुभ कर्मों जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि को कम वर्जित माना जाता रहा है। देवउठनी एकादशी के बाद इन्हें शुभ माना जाता है और विवाह-रोम विवाह-मंगल आदि का शुभ मुहूर्त खुल जाता है।
तुलसी विवाह एवं अन्य संस्कार
बहुत-से स्थानों पर इस दिन तुलसी विवाह की भी रस्म होती है — तुलसी पौधे का विवाह शालिग्राम या भगवान विष्णु से होता है। यह भी शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है।
पूजन-व्रत की विधि
पूर्व तैयारी
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एकादशी से पूर्व दिन (दसमि) को हल्का भोजन करना, अनाज और फलाहार सीमित करना शुभ माना जाता है।
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व्रत वाले दिन सुबह स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र पहनना, पूजा स्थान स्वच्छ रखना आवश्यक है।
व्रत एवं पूजा
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उपवास: इसमें अनाज, दलहन, पाश्चात्य भोजन से परहेज करना, केवल फल-दूध-पानी या निर्जला उपवास रखना परंपरा में है।
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भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर तुलसी पत्ता, अक्षत, फल, पुष्प, धूप-दीप अर्पित करना। मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” वगैरा का पाठ करना शुभ है।
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कथा क्रिया: देवउठनी एकादशी की कथा पढ़ना, भजन-कीर्तन करना भी महत्वपूर्ण है।
व्रत का पारण
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एकादशी व्रत का पारण (उपवास समाप्ति) द्वादशी तिथि के शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। उदाहरण के लिए 2025 में दर्शनपंचांग के अनुसार पारण समय 2 नवंबर को दोपहर के बाद है।
किस तरह से इस दिन का लाभ उठाएं
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इस दिन नवकार्य, गृह-प्रवेश, विवाह, व्यवसाय आरंभ करने की योजना बना सकते हैं क्योंकि इसे शुभ माना जाता है।
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पूजा-व्रत के साथ दान-पुण्य करना – गरीबों को भोजन-दान देना, तुलसी-पौधा लगाना, ब्राह्मण सम्मान करना अश्रेय माना जाता है।
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व्रत के दौरान शांति-भक्ति-संयम पर ध्यान दें – मन, वचन, कर्म से पवित्र बने रहने का संकल्प करें।
निष्कर्ष
Devuthni Ekadashi न केवल एक व्रत-उपवास का दिन है, बल्कि यह एक प्रतीकात्मक समय-बिंदु है जब भगवान विष्णु जागते हैं और शुभ कार्यों का आरंभ होता है। 1 नवंबर 2025 को इस पवित्र दिन का महत्व है और पारंपरिक पूजा-विधि एवं व्रत के माध्यम से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आप इस अवसर का लाभ उठाकर जीवन में शुभता, समृद्धि और आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।



