
साउथ इंडस्ट्री की पॉपुलर एक्ट्रेस अनुष्का शेट्टी लंबे गैप के बाद अपनी नई फिल्म Ghaati लेकर लौटी हैं। फिल्म का निर्देशन कृष्णा जगर्लामुड़ी ने किया है। रिलीज़ से पहले दर्शकों में फिल्म को लेकर उत्सुकता तो थी, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह फिल्म थियेटर में बैठकर समय बिताने लायक है?
कहानी की झलक
फिल्म की पृष्ठभूमि आंध्र–ओडिशा बॉर्डर (AOB) की पूर्वी घाट पहाड़ियों पर आधारित है। यहां बड़े पैमाने पर गांजे की खेती और तस्करी होती है। इस गैरकानूनी कारोबार पर कास्टला नायडू (रविंद्र विजय) का दबदबा है।
उसी के गैंग में शीलावती (अनुष्का शेट्टी) और देसी राजू (विक्रम प्रभु) भी काम करते हैं। लेकिन दोनों अपनी राह अलग करने और खुद का कारोबार शुरू करने का फैसला करते हैं। उनका यह कदम नायडू को नागवार गुजरता है और वह उन्हें तबाह कर देता है। इसी संघर्ष के बीच शीलावती का सबकुछ छिन जाता है।
इसके बाद वह दुश्मनों से बदला लेने की ठान लेती है और यहीं से फिल्म का असली ट्रैक शुरू होता है।
पॉज़िटिव बातें
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अनुष्का शेट्टी ने एक बार फिर साबित किया कि वह इंटेंस किरदार निभाने में कितनी मजबूत हैं। उनके एक्शन सीन्स दमदार हैं और गुस्से से भरे पल वाकई असर छोड़ते हैं।
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विक्रम प्रभु, जो इस फिल्म से तेलुगु सिनेमा में कदम रख रहे हैं, छोटे रोल के बावजूद अच्छा प्रभाव छोड़ते हैं। खासतौर पर अनुष्का के साथ उनके सीन देखने लायक हैं।
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जगपति बाबू अपनी हल्की-फुल्की कॉमिक टाइमिंग से फिल्म को थोड़ी राहत देते हैं।
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चैतन्य राव का किरदार भले सीमित हो, लेकिन उन्होंने इसे बेहतरीन तरीके से निभाया है।
नेगेटिव पहलू
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फिल्म में एक्शन, रोमांस और रिवेंज के सारे मसाले मौजूद हैं, लेकिन कहानी में कसाव की कमी है। स्क्रिप्ट सपाट और अनुमानित लगती है।
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दूसरा हाफ फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा है, जहां इमोशन्स और गहराई दोनों की कमी खलती है। कई महत्वपूर्ण किरदार आधे-अधूरे से लगते हैं।
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यहां तक कि अनुष्का और मुख्य खलनायक (रविंद्र विजय) जैसे केंद्रीय रोल भी ज्यादा दमदार नहीं बन पाए। लेखन में उन्हें जिस ऊंचाई की ज़रूरत थी, वह नहीं मिल सकी।
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नतीजा यह होता है कि दर्शक जिस रोमांचक ड्रामा की उम्मीद करते हैं, वह अधूरा महसूस होता है।
तकनीकी पक्ष
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चित्ताकिंडी श्रीनिवास राव की स्क्रिप्ट में वजन नहीं है और निर्देशक कृष्णा भी इसमें कोई खास ऊर्जा नहीं भर पाते।
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साई माधव बुरा के संवाद कहीं-कहीं असर छोड़ते हैं, लेकिन समग्र रूप से कहानी को ऊपर नहीं उठा पाते।
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कैमरे में घाट की खूबसूरती जरूर कैद की गई है, मगर कमजोर एडिटिंग के चलते फिल्म लंबी खिंच जाती है।
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विद्या सागर का म्यूजिक फीका है, हालांकि बैकग्राउंड स्कोर कुछ सीन्स में प्रभावी लगता है।
अंतिम राय
कुल मिलाकर, Ghaati एक साधारण बदला लेने वाली कहानी है, जो कुछ हिस्सों में ही काम करती है। अनुष्का शेट्टी का दमदार परफॉर्मेंस और विक्रम प्रभु का ठीक-ठाक डेब्यू फिल्म को संभालते हैं, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले और अधूरा लेखन इसे खास नहीं बनने देते।
अगर आप अनुष्का शेट्टी के कट्टर फैन हैं तो यह फिल्म एक बार देख सकते हैं, लेकिन बड़े सरप्राइज की उम्मीद रखना ठीक नहीं होगा।