दिल्ली

AQI डेटा से लेकर यमुना तक: क्या दिल्ली सरकार ने किया प्रदूषण और सफाई पर झूठा दावा?

दिल्ली की हवा पर सियासी तूफान — AAP बनाम बीजेपी आमने-सामने

दिल्ली की हवा और पानी को लेकर एक बार फिर सियासी जंग छिड़ गई है।
जहाँ दिल्ली सरकार लगातार दावा कर रही है कि राजधानी की हवा पहले से साफ और यमुना पहले से बेहतर है, वहीं विपक्ष ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए सरकार पर झूठ फैलाने और आंकड़ों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है।

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ विधायक सौरभ भारद्वाज ने प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्ली की बीजेपी सरकार को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा कि “सरकार जनता को गुमराह कर रही है, सच छिपाया जा रहा है, और प्रदूषण से जुड़े डेटा में फर्जीवाड़ा हो रहा है।”


AQI डेटा गायब — दिवाली की रात हवा का असली हाल क्यों छिपाया गया?

सौरभ भारद्वाज ने सबसे गंभीर आरोप AQI (Air Quality Index) डेटा को लेकर लगाया।
उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर, यानी दिवाली के अगले दिन, राजधानी में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मॉनिटरिंग स्टेशन का लाइव डेटा रातभर गायब रहा

भारद्वाज ने कहा —

“दिवाली की रात दिल्ली सरकार ने AQI मॉनिटरिंग डिवाइस बंद कर दिए। लोगों को असली प्रदूषण का डेटा नहीं दिखाया गया। मंत्री ने जवाब देने से भी बचा लिया। मैं मांग करता हूँ कि उस रात का असली डेटा सार्वजनिक किया जाए।”

उन्होंने दावा किया कि यह सब इसलिए किया गया ताकि सरकार की ‘साफ हवा’ की छवि बची रहे, जबकि असलियत में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका था।


AQI मैनिपुलेशन का आरोप — ऐप्स पर 1700, सरकार कह रही 400

AAP विधायक ने आगे कहा कि सरकार द्वारा जारी AQI आंकड़े और मोबाइल ऐप्स के डेटा में जबर्दस्त अंतर था।

“सरकारी डेटा 400 AQI दिखा रहा था जबकि हमारे मोबाइल ऐप्स पर वही AQI 1700 तक था। इतनी बड़ी असमानता आखिर क्यों?”

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार डेटा से छेड़छाड़ कर रही है ताकि जनता को “साफ हवा का भ्रम” दिया जा सके?

यह आरोप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और कई नागरिकों ने भी बताया कि उनके ऐप्स पर AQI स्तर सरकार के बताए आंकड़ों से कई गुना ज़्यादा दिख रहा था।


‘पानी छिड़ककर साफ हवा दिखाने का ड्रामा’ — आनंद विहार स्टेशन का मामला

भारद्वाज ने एक और गंभीर आरोप लगाया — उन्होंने कहा कि आनंद विहार प्रदूषण मॉनिटरिंग स्टेशन के आसपास सिर्फ़ इसलिए पानी का छिड़काव किया जा रहा था ताकि डिवाइस की रीडिंग कम दिखाई दे

उन्होंने बताया कि एक ट्रक लगातार उसी जगह पानी छिड़क रहा था जहाँ AQI मशीन लगी थी।

“पूरा इलाका धुएँ और धूल से भरा था, लेकिन सिर्फ डिवाइस के सामने पानी छिड़का जा रहा था ताकि हवा साफ दिखे और रीडिंग कम आए।”

यह दावा सामने आते ही सोशल मीडिया पर #AQIDataRigged ट्रेंड करने लगा।


क्लाउड सीडिंग पर तकरार — मंत्री का तंज

विपक्ष के सवालों के बीच जब क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) का मुद्दा उठा, तो दिल्ली के मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने पलटवार करते हुए कहा —

“ये लोग क्लाउड सीडिंग पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन इन्हें पता ही नहीं कि पहले बादल आते हैं, फिर सीडिंग होती है। जब बादल आएँगे, तब कृत्रिम बारिश भी होगी।”

सिरसा ने इसे विपक्ष की “बेवजह की आलोचना” बताया और कहा कि सरकार स्थिति पर नज़र बनाए हुए है।


‘साफ यमुना’ का दावा झूठा — छठ पूजा से पहले फिर उठा विवाद

प्रदूषण के साथ-साथ यमुना नदी की सफाई का मुद्दा भी इस विवाद का हिस्सा बन गया है।
AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी सरकार ने छठ पूजा से पहले यमुना को साफ करने का झूठा दावा किया, जबकि असल में नदी की हालत पहले से भी बदतर है।

उन्होंने कहा —

“सरकार भोले-भाले पूर्वांचली भाइयों को धोखा दे रही है। अगर यमुना साफ है तो मंत्री रेखा गुप्ता को मैं खुद ये पानी पीने को दूँगा। फिर जनता को बताइए कि आपने यमुना साफ कर दी।”

भारद्वाज का यह बयान वायरल हो गया, खासकर छठ पूजा के समय जब हजारों श्रद्धालु यमुना तट पर पूजा करने आते हैं।


‘कृत्रिम यमुना’ बनाई गई — गंगा का पानी लाया गया पीएम के लिए

AAP विधायक ने एक और बड़ा आरोप लगाया — उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के लिए कृत्रिम यमुना तैयार की गई

“वसुदेव घाट को असली यमुना से अलग कर दिया गया है। वहाँ एक दीवार बनाई गई है और हरी पाइपलाइन से साफ, फ़िल्टर्ड गंगा का पानी लाया जा रहा है। ताकि प्रधानमंत्री को असली यमुना का गंदा पानी न दिखे।”

उनके मुताबिक, यह सब राजनीतिक स्टंट है ताकि बिहार के वोटरों को खुश किया जा सके और छवि चमकाई जा सके।


बीजेपी की पलटवार — “AAP का निराधार प्रचार और निराशा की निशानी”

BJP ने AAP के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक हताशा का नतीजा है।
पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि दिल्ली सरकार की कोशिशों से प्रदूषण में सुधार हुआ है और यमुना को चरणबद्ध तरीके से साफ किया जा रहा है।

बीजेपी नेता रेखा गुप्ता, जो दिल्ली की मुख्यमंत्री भी हैं, ने टीवी चैनल पर कहा —

“हमने कभी यह दावा नहीं किया कि यमुना का पानी पीने लायक है। हमने सिर्फ यह कहा कि अब यह पूजा और स्नान के लिए पर्याप्त रूप से साफ है। पूरी सफाई में समय लगेगा, लेकिन दिशा सही है।”


दिल्ली का असली मुद्दा — सियासत या समाधान?

दिल्ली की हवा और यमुना का पानी दोनों लंबे समय से विवाद और राजनीति के केंद्र में हैं।
जहाँ एक ओर जनता को स्वच्छ हवा और पानी की उम्मीद है, वहीं पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप से असल मुद्दा पीछे छूटता जा रहा है।

राजधानी का औसत AQI अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में “गंभीर श्रेणी” (Severe Category) में पहुँच गया था, जबकि कई इलाकों में यह 700 से ऊपर दर्ज हुआ।
यमुना की हालत भी रिपोर्टों के अनुसार अभी भी प्रदूषित स्तर पर है, और इसके 22 किलोमीटर के हिस्से में फोम और कचरा स्पष्ट दिख रहा है।


आंकड़ों की जंग में जनता का दम घुटा

दिल्ली में हवा जहरीली हो रही है, यमुना की लहरें अभी भी काली हैं — लेकिन सियासत में यह “किसकी गलती” का खेल बन गया है।

जहाँ AAP सरकार खुद को “क्लीन दिल्ली” की ब्रांडिंग दे रही है, वहीं विपक्ष इसे डेटा रिगिंग और पब्लिक रिलेशन शो बता रहा है।
अब जनता यही पूछ रही है —

“हवा में सियासत कब तक चलेगी? असली सुधार कब दिखेगा?”

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