
सप्ताह की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार के लिए कमजोर रही। सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को Sensex और Nifty दोनों प्रमुख सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। गिरावट की मुख्य वजह रही — IT और FMCG सेक्टर में जोरदार बिकवाली और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता व्यापार तनाव, जिसने निवेशकों के सेंटिमेंट पर असर डाला।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 1 नवंबर 2025 से लागू होगा। इस घोषणा के बाद एशियाई बाजारों में दबाव देखा गया और भारतीय इक्विटी मार्केट भी उससे अछूता नहीं रहा।
Sensex 173 अंकों की गिरावट के साथ बंद, दो दिन की तेजी टूटी
30 शेयरों वाला BSE Sensex सोमवार को 173.77 अंक (0.21%) गिरकर 82,327.05 पर बंद हुआ। इससे पहले दो सत्रों से लगातार तेजी देखने को मिल रही थी, जो आज टूट गई।
दिन के दौरान Sensex एक समय 457.68 अंक तक लुढ़ककर 82,043.14 तक पहुंच गया था। निवेशकों ने आईटी और एफएमसीजी शेयरों में मुनाफावसूली की, जबकि कुछ फाइनेंस और बैंकिंग शेयरों में सीमित खरीदारी दिखी।
Nifty भी फिसला, 58 अंक की गिरावट के साथ 25,227 पर बंद
इसी तरह, 50 शेयरों वाला NSE Nifty भी सोमवार को 58 अंक (0.23%) गिरकर 25,227.35 पर बंद हुआ।
निफ्टी के 50 में से 30 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, 19 शेयरों में तेजी रही और 1 शेयर स्थिर रहा।
यह संकेत देता है कि निवेशकों ने बड़ी कंपनियों में सतर्क रुख अपनाया है, खासकर ग्लोबल मार्केट के कमजोर संकेतों को देखते हुए।
कौन से शेयर रहे कमजोर और किसमें दिखी तेजी
Sensex की बड़ी कंपनियों में Tata Motors, Infosys, Hindustan Unilever, Power Grid, Bharat Electronics, ITC, UltraTech Cement और Tata Consultancy Services (TCS) के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
वहीं दूसरी ओर, Adani Ports, Bajaj Finance, Bajaj Finserv और Axis Bank जैसे शेयरों में बढ़त देखने को मिली। इन कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजों और मजबूत फंडामेंटल्स ने बाजार में कुछ संतुलन बनाए रखा।
एशियाई और वैश्विक बाजारों में मिला-जुला रुख
ग्लोबल मार्केट्स का दबाव भारतीय बाजार पर साफ झलका।
दक्षिण कोरिया का Kospi, शंघाई का SSE Composite Index और हांगकांग का Hang Seng सभी लाल निशान में बंद हुए।
टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज अवकाश के कारण बंद था।
हालांकि, यूरोपीय बाजारों में थोड़ी रिकवरी देखी गई, जहां प्रमुख इंडेक्स हल्की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।
अमेरिकी बाजारों में शुक्रवार को भारी गिरावट आई थी।
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Nasdaq Composite में 3.56% की बड़ी गिरावट
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S&P 500 में 2.71% की गिरावट
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और Dow Jones Industrial Average में 1.90% की गिरावट दर्ज की गई थी।
इन आंकड़ों ने एशिया समेत भारत के निवेशकों के भरोसे को कमजोर किया।
विश्लेषकों की राय: निवेशकों में ‘Risk-Off’ मूड
Geojit Investments Limited के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि “सप्ताह की शुरुआत भारतीय बाजारों के लिए सावधानी भरी रही। अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन और चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव ने एशियाई बाजारों में Risk-Off सेंटिमेंट पैदा कर दिया है। निवेशक इस समय सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि अगले कुछ सत्रों में बाजार की दिशा काफी हद तक ग्लोबल संकेतों और रूपए-तेल की चाल पर निर्भर करेगी।
कच्चे तेल में तेजी, Brent Crude 1.77% बढ़ा
वैश्विक तेल बाजार में भी हलचल जारी है।
Brent Crude Oil की कीमत 1.77% बढ़कर $63.84 प्रति बैरल तक पहुंच गई।
तेल की यह बढ़त भारत जैसे आयातक देशों के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि यह मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे पर असर डालती है।
विदेशी निवेशकों की गतिविधि
विदेशी निवेशक (FIIs) अभी भी भारतीय इक्विटी मार्केट में सक्रिय बने हुए हैं।
शुक्रवार (10 अक्टूबर 2025) को FIIs ने ₹459.20 करोड़ मूल्य के शेयर खरीदे, एक्सचेंज डेटा के अनुसार।
हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) द्वारा की गई मुनाफावसूली के कारण बाजार में दबाव बना रहा।
आगे क्या? निवेशकों के लिए सतर्क रहने का समय
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका-चीन व्यापार विवाद, तेल की बढ़ती कीमतें, और अमेरिकी सरकारी शटडाउन जैसी ग्लोबल अनिश्चितताएं भारतीय बाजार पर फिलहाल दबाव बनाए रखेंगी।
निवेशकों को शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग में सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
लॉन्ग-टर्म निवेशक अभी भी अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों में गिरावट के समय निवेश कर सकते हैं, खासकर बैंकिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में।



