
Trump China Tariff News – बीजिंग बनाम वॉशिंगटन — दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच फिर से तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा चीन पर 100% अतिरिक्त टैरिफ (Import Tariff) लगाने की घोषणा के बाद, चीन ने अमेरिका पर “डबल स्टैंडर्ड” अपनाने का आरोप लगाते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान में चीन के वाणिज्य मंत्रालय (Commerce Ministry) ने कहा कि,
“अमेरिका का यह कदम दोहरे मापदंडों का एक क्लासिक उदाहरण है। अगर अमेरिका इसी राह पर चलता रहा, तो चीन अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए दृढ़ कदम उठाएगा।”
बीजिंग का पलटवार – “हम लड़ना नहीं चाहते, लेकिन डरते भी नहीं”
बीजिंग ने कहा कि वह लंबे समय से वॉशिंगटन से एकतरफा व्यापार प्रतिबंध (unilateral trade restrictions) खत्म करने की मांग करता आया है, क्योंकि ये न केवल वैश्विक व्यापार को कमजोर करते हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,
“हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन हम उससे डरते भी नहीं। अगर अमेरिका अपनी हरकतों पर कायम रहता है, तो चीन मजबूर होकर जवाबी कदम उठाएगा।”
यह बयान एसोसिएटेड प्रेस (AP) द्वारा जारी रिपोर्ट में भी उद्धृत किया गया।
ट्रंप का बड़ा ऐलान – चीन पर 100% नया टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए 1 नवंबर 2025 से चीन से आने वाले उत्पादों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ और महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल्स लगाने की घोषणा की है।
यह टैरिफ मौजूदा 30% टैक्स के ऊपर होगा। यानी अब चीन से आने वाले कई सामानों की लागत अमेरिकी बाजार में लगभग दोगुनी हो सकती है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“मुझे जानकारी मिली है कि चीन ने व्यापार पर बेहद आक्रामक रुख अपनाया है और दुनिया को एक अत्यंत शत्रुतापूर्ण पत्र भेजा है।”
उन्होंने साथ ही यह भी चेतावनी दी कि वे इस महीने के अंत में होने वाली चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के साथ बैठक को रद्द भी कर सकते हैं।
“टैरिफ की धमकी से रिश्ते नहीं सुधर सकते”: चीन
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अपने ऑनलाइन बयान में कहा कि “बार-बार ऊंचे टैरिफ की धमकी देना चीन से संबंध सुधारने का सही तरीका नहीं है।”
मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित बयान को “प्रवक्ता के सवाल-जवाब” के रूप में पेश किया गया, हालांकि उसमें पत्रकारों या मीडिया हाउस के नाम नहीं बताए गए।
बयान में कहा गया:
“अगर अमेरिका अपने रवैये पर अड़ा रहता है, तो चीन निश्चित रूप से अपने हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा।”
बीजिंग ने इस बात पर भी जोर दिया कि विवादों का समाधान संवाद और कूटनीति (Dialogue and Diplomacy) से किया जाना चाहिए, न कि धमकियों या एकतरफा फैसलों से।
ट्रेड वॉर का नया अध्याय
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) कोई नई बात नहीं है। 2018 में ट्रंप प्रशासन के दौरान दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क को लेकर बड़ा विवाद शुरू हुआ था।
हालांकि 2020 में हुए आंशिक समझौते के बाद हालात कुछ शांत हुए थे, लेकिन पिछले दो सालों में फिर से तनाव बढ़ने लगा है।
इस बार स्थिति इसलिए और गंभीर है क्योंकि ट्रंप ने न केवल आयात शुल्क बढ़ाया है, बल्कि चीन के टेक सेक्टर पर नए एक्सपोर्ट कंट्रोल्स भी लगाने की बात कही है — जो सेमीकंडक्टर, सॉफ्टवेयर और एआई से जुड़े प्रोडक्ट्स को प्रभावित कर सकते हैं।
चीन का पलटवार – रेयर अर्थ मिनरल्स पर नियंत्रण
ट्रंप के इस फैसले के एक दिन बाद ही चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर नई सीमाएं लगाने की घोषणा कर दी।
रेयर अर्थ मिनरल्स — जैसे कि नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और टर्बियम — आधुनिक तकनीक जैसे स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक कार और रक्षा उपकरणों के लिए बेहद जरूरी होते हैं।
चीन इन मिनरल्स का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
बीजिंग का यह कदम अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे अमेरिकी टेक इंडस्ट्री की सप्लाई चेन पर सीधा असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय – “आर्थिक टकराव बढ़ेगा”
अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के नए टैरिफ फैसले से ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बढ़ सकती है।
कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे न केवल चीन-अमेरिका व्यापार बल्कि एशिया और यूरोप के बाजार भी प्रभावित हो सकते हैं।
सिंगापुर यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री लियांग फेंग ने कहा,
“दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा। यह टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों पर भी असर डालेगा।”
आने वाले हफ्ते होंगे निर्णायक
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि क्या ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात वास्तव में रद्द होगी या दोनों नेता स्थिति को संभालने की कोशिश करेंगे।
अगर बैठक रद्द होती है, तो यह वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए एक और झटका साबित हो सकता है। वहीं अगर संवाद जारी रहा, तो शायद स्थिति थोड़ी नरम पड़ सकती है।
हालांकि बीजिंग का स्पष्ट संदेश है —
“हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन दबाव में झुकेंगे नहीं।”
निष्कर्ष:
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर का यह नया दौर दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है।
जहां ट्रंप अमेरिकी उद्योगों की रक्षा के नाम पर कठोर कदम उठा रहे हैं, वहीं चीन अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों की सुरक्षा में जुटा है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आने वाले महीनों में यह विवाद बातचीत के जरिए सुलझता है या फिर वैश्विक व्यापार एक बार फिर नई उथल-पुथल में फंस जाता है।



