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US Government Shutdown: ट्रंप की योजना से लाखों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में

अमेरिका इस समय गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। सात साल बाद हुआ यह सरकारी शटडाउन (US Government Shutdown) अब केवल अस्थायी अवरोध तक सीमित नहीं लग रहा, बल्कि इसे स्थायी पुनर्गठन में बदले जाने की चर्चा तेज हो गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बजट प्रमुख रस वॉट ने साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में कई सरकारी एजेंसियों का ढांचा बदला जा सकता है और इसमें बड़े पैमाने पर नौकरी कटौती (Mass Layoffs) शामिल हो सकती है।

US Government Shutdown क्यों हुआ?

यह शटडाउन बुधवार रात से लागू हुआ क्योंकि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी स्वास्थ्य बीमा को लेकर समझौते पर नहीं पहुँच सके। डेमोक्रेट्स चाहते थे कि ओबामाकेयर (Obamacare) के तहत मिलने वाले टैक्स क्रेडिट जारी रहें, ताकि आम लोगों को सस्ती स्वास्थ्य बीमा मिले। दूसरी ओर रिपब्लिकन ने इसका विरोध किया। समझौता न होने से फंडिंग रुक गई और परिणामस्वरूप फेडरल एजेंसियों को अपना काम रोकना पड़ा।

कर्मचारियों पर बढ़ता दबाव

करीब 7.5 लाख फेडरल कर्मचारी सीधे इस संकट की मार झेल रहे हैं। पहले हुए शटडाउन में आमतौर पर कर्मचारियों को अस्थायी वेतन रुकने जैसी परेशानी होती थी। लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई है। अब सिर्फ पेमेंट रुकने की बात नहीं है, बल्कि स्थायी नौकरी छूटने का खतरा भी सिर पर मंडरा रहा है।

व्हाइट हाउस ने भी स्पष्ट किया है कि इस बार सिर्फ फर्लो (Furlough) नहीं, बल्कि वास्तविक छंटनी की संभावना है। यही कारण है कि कर्मचारियों में असुरक्षा और गुस्सा दोनों तेजी से बढ़ रहे हैं।

ट्रंप की नई रणनीति

ट्रंप ने इस शटडाउन को “ऐतिहासिक अवसर” बताया है। उनका कहना है कि यह सही समय है जब अमेरिका की एजेंसियों का आकार छोटा किया जा सकता है और डेमोक्रेट्स की नीतियों को कमजोर किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा कि वे और रस वॉट तय करेंगे कि “कौन-सी एजेंसियों की जरूरत है और कौन-सी बंद की जा सकती हैं।”

ट्रंप ने इसे प्रोजेक्ट 2025 (Project 2025) को आगे ले जाने का मौका भी बताया। यह योजना पहले हेरिटेज फाउंडेशन ने तैयार की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी ढाँचे को छोटा करना और नियमों को आसान बनाना है।

विपक्ष का कड़ा विरोध

सीनेट डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने ट्रंप प्रशासन पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह योजना डेमोक्रेट्स को नहीं बल्कि आम अमेरिकियों को नुकसान पहुँचा रही है। उनके मुताबिक, “ट्रंप का मैक्सिमम पेन प्लान कर्मचारियों की तनख्वाह छीन रहा है, परिवारों को संकट में डाल रहा है और लाखों नौकरियाँ खतरे में डाल रहा है।”

हाउस स्पीकर का ट्रंप को समर्थन

हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने राष्ट्रपति ट्रंप का समर्थन करते हुए कहा कि जब कांग्रेस फंडिंग पास नहीं करती, तो सभी फैसलों की ताकत राष्ट्रपति के पास चली जाती है। उन्होंने डेमोक्रेट्स को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने प्रशासन को खुद ही इतनी शक्ति सौंप दी है।

बड़े प्रोजेक्ट्स पर रोक

रिपोर्ट्स बताती हैं कि रस वॉट पहले ही कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर फंडिंग रोक चुके हैं, जिनमें शामिल हैं –

  • 18 अरब डॉलर का हडसन रिवर रेल टनल (न्यूयॉर्क)

  • सेकंड एवेन्यू सबवे प्रोजेक्ट

  • 8 अरब डॉलर की ग्रीन एनर्जी योजनाएँ

ये प्रोजेक्ट्स डेमोक्रेट्स के लिए बेहद अहम माने जाते थे।

अर्थव्यवस्था पर असर

कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) ने चेताया है कि अमेरिका को हर दिन लगभग 400 मिलियन डॉलर की वेतन हानि हो रही है। अगर यह स्थिति लंबी खिंच गई तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी झटका लग सकता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि यदि शटडाउन एक महीने तक जारी रहा तो GDP को करीब 15 अरब डॉलर का नुकसान होगा और लगभग 43,000 लोग अतिरिक्त बेरोजगार हो जाएंगे।

हवाई यात्राओं पर भी असर देखने को मिल सकता है क्योंकि पिछली बार की तरह एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स की अनुपस्थिति बढ़ सकती है।

कानूनी मुश्किलें

कई विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी छंटनी कानूनी विवादों को जन्म दे सकती है। वजह यह है कि शटडाउन के दौरान सरकार ‘सेवरेन्स पे’ (नौकरी से अलगाव का भुगतान) जैसी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकती।

क्या पहले भी हुआ है ऐसा?

यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिकी राजनीति की खींचतान ने सरकारी कामकाज रोक दिया हो।

  • 2013 में रिपब्लिकन ने ओबामाकेयर की फंडिंग रोकने की कोशिश की थी, जिससे 16 दिन का शटडाउन हुआ।

  • 2018-19 में ट्रंप ने बॉर्डर वॉल फंडिंग के लिए दबाव बनाया था और 34 दिन तक शटडाउन चला, जो अब तक का सबसे लंबा था।

मगर इस बार फर्क यह है कि अब केवल फंडिंग का झगड़ा नहीं, बल्कि पूरे सरकारी ढाँचे को स्थायी रूप से बदलने की तैयारी हो रही है।

आगे की राह

सीनेट शुक्रवार को बैठक करने वाली है जबकि हाउस अगले हफ्ते लौटेगा। तब तक पर्यावरण, गरीबी उन्मूलन और सामाजिक न्याय जैसी एजेंसियों पर संकट मंडराता रहेगा। वहीं रक्षा और इमिग्रेशन से जुड़े विभाग अलग फंडिंग होने के कारण अभी प्रभावित नहीं होंगे।

लाखों कर्मचारियों के लिए यह शटडाउन अब सिर्फ पेमेंट रुकने का मामला नहीं है, बल्कि उनके भविष्य और जीवन की स्थिरता पर सीधा वार है। जैसा कि डेमोक्रेटिक नेता हकीम जेफ़्रीज़ ने कहा –
“अब यह साफ हो गया है कि इस प्रशासन की असली नीति क्रूरता है।”

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