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भारत‑चीन सीधी उड़ान: 5 साल बाद ये होगी पहली उड़ान

नई दिल्ली से यह बड़ी खबर सामने आ रही है कि पाँच साल की लम्बी दरार के बाद भारत और चीन फिर सीधे हवाई संपर्क की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह कदम उन प्रयासों की परिणति है, जो दोनों देशों ने सीमा तनाव के बाद रिश्तों को पुनर्स्थापित करने की दिशा में उठाए थे। इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि यह निर्णय किस पृष्ठभूमि में आया, किन चुनौतियों का सामना करना होगा, और इसका अर्थ क्या हो सकता है।


पृष्ठभूमि: क्यों ठहर गई थीं सीधी उड़ानें?

सीधी उड़ानें भारत और चीन के बीच 2020 तक नियमित रूप से संचालित होती थीं। लेकिन उसी वर्ष COVID‑19 महामारी के कारण सभी यात्री उड़ानों को रोक दिया गया। इसका असर व्यापार, पर्यटन, और नागरिक संपर्क पर गहरा पड़ा।

इतना ही नहीं, महामारी बाद भी जब अन्य देशों ने हवाई सेवाएं पुनः शुरू कर दीं, भारत-चीन मार्ग पर उड़ानों को पुनर्स्थापित नहीं किया गया। इसके पीछे प्रमुख कारण था पूर्वी लद्दाख में सीमा तनातनी। 2020 में गलवान और अन्य क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया।

इस तनाव के चलते, दोनों देशों ने न केवल उड़ानों को रोका, बल्कि वीजा नीतियों को सख्त किया, सीमावर्ती व्यापार को सीमित किया और सैनिकों की तैनाती बढ़ाई।

इन परिस्थितियों में, भारत-चीन के हवाई संपर्क की बहाली एक प्रतीक बन गई थी — प्रतीक यह कि दोनों पक्षों के बीच संवाद और भरोसा धीरे-धीरे वापस आ रहा है।


निर्णय और घोषणाएँ: क्या कहा गया है?

MEA (विदेश मंत्रालय) की ओर से ताज़ा बयान में कहा गया है कि भारत और चीन अक्टूबर 2025 तक कुछ नामित बिंदुओं के बीच सीधी उड़ानें पुनः आरंभ कर सकते हैं, बशर्ते सभी परिचालन मानदंड पूरे हों और एयरलाइनों द्वारा वाणिज्यिक रूप से यह निर्णय लिया जाए।

इस घोषणा से पहले, दोनों देशों की नागरिक उड्डयन और विदेश विभागों ने तकनीकी स्तर की वार्ताएं की थीं। उन बैठकों में एयर सर्विसेज एग्रीमेंट (वायुमार्ग समझौता) को अद्यतन करने की बात सामने आई। MEA ने यह भी कहा कि इस पहल से लोगों के बीच संपर्क बेहतर होगा, आर्थिक सहयोग मजबूत होगा, और दोनों देशों के बीच आम नागरिकों का यात्रा अनुभव आसान बनेगा। वर्ष भर चले तनाव और सीमावर्ती गतिरोधों को ध्यान में रखते हुए, यह एक महत्वपूर्ण नीति संकेत माना जा रहा है कि भारत ने रणनीतिक दृष्टिकोण से इस कदम की हरी झंडी दी है।

कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एयर इंडिया और इंडिगो को इस रूट पर उड़ानें चलाने का संकेत मिला है, हालांकि अभी औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है।


कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ

  1. सुरक्षा और सीमा तनाव
    सीमा पर मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों को पूरी तरह हल नहीं किया गया है। किसी भी अप्रत्याशित घटना से संबंधों पर नई चोट लग सकती है। इसलिए, सिर्फ कूटनीतिक सहमति ही काफी नहीं; सेना, सीमा प्रबंधन और इंटेलिजेंस को भी प्रभावित करना होगा।

  2. परिचालन एवं तकनीकी मानदंड
    उड़ानें शुरू करने से पहले अनेक तकनीकी और नियामक प्रश्नों का हल होना ज़रूरी है — हवाई मार्ग, एयरस्पेस अनुमति, उड़ान नियंत्रण, हवाई अड्डों की संशोधन आवश्यकताएँ, आदि।

  3. वाणिज्यिक निर्णय
    केवल राजनयिक निर्णय से उड़ान नहीं शुरू होती; एयरलाइनों को यह देखना होगा कि रूट आर्थिक दृष्टिकोण से लाभदायक है या नहीं। यदि यात्री संख्या पर्याप्त नहीं हुई, तो वह रुट चलते नहीं रह पाएगी।

  4. वीज़ा और आव्रजन नीतियाँ
    नागरिकों और व्यापारियों के आवागमन की आसान व्यवस्था तभी संभव है जब वीजा नीतियां अनुकूल हों। वर्तमान में वीजा प्रक्रिया और सीमा शुल्क नियमों में जटिलताएँ मौजूद हैं।

  5. विश्वसनीयता और विश्वास बहाली
    पिछले वर्षों में संबंधों में गिरावट आई थी। अब, यात्रियों को यह भरोसा दिलाना होगा कि उड़ानें नियमित रहेंगी, सुरक्षा मानक बनाए जाएँगे और राजनीतिक घटनाएँ उड़ान सेवा को बाधित नहीं करेंगी।


प्रमुख नफा एवं संभावनाएँ

  • व्यापार और निवेश वृद्धि
    सीधी उड़ानें व्यापारियों को कम समय और लागत में संपर्क का मौका देंगी। कंपनियों के बीच संपर्क बढ़ेगा, निवेश आसान होगा और सप्लाई चैन दिशा सीधे चलेगी।

  • पर्यटन एवं हस्तांतरित मानव संपर्क
    भारतीय और चीनी पर्यटक दोनों देशों का दौरा कर सकेंगे। छात्रों, शोधकर्ताओं, परिवारों के बीच यात्रा आसान होगी। यह लोगों के बीच संवाद को बढ़ाएगा।

  • राजनयिक संकेत
    यह कदम इस बात का संकेत है कि भारत तनाव के बावजूद रणनीतिक संतुलन बनाए रखना चाहता है। चीन को यह संदेश जाएगा कि भारत सिर्फ द्विपक्षीय रिश्तों को पूरी तरह से संबोधित किए बिना सहयोग जब तक करेगा जब यह उसके हित में हो।

  • चेनिया (China-India) सहयोग क्षेत्रों में सुधार
    वायु संपर्क के बहाली से अन्य क्षेत्रों जैसे शिक्षा, तकनीकी साझेदारी, जल संसाधन डेटा साझा करना आदि में आगे काम संभव होगा। MEA ने पहले ही साझा जल डेटा और सीमावर्ती सहयोग को समर्थन देने की बात कही है।


उड़ान कब शुरू हो सकती है?

MEA और मीडिया रिपोर्टों में संकेत हैं कि अक्टूबर 2025 तक उड़ानें पुनः शुरू हो सकती हैं। यह रास्ता शीतकालीन उड़ान कार्यक्रम के अनुरूप होगा।

विशेष रूप से, इंडिगो ने पहले ही 26 अक्टूबर से कोलकाता–ग्वांगझोउ (China) मार्ग की उड़ान शुरू करने की योजना बनाई है।

हालांकि, ये सभी योजनाएँ “यदि वाणिज्यिक निर्णय हो” और “सभी तकनीकी मानदंड पूरे हों” की शर्तों से बंधी हैं।


निष्कर्ष

पाँच साल के कटु अंतराल के बाद यह निर्णय — भारत और चीन के बीच फिर सीधे हवाई संपर्क की बहाली — एक संकेत है कि दोनों देश अब रिश्तों को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यह कदम केवल उड़ान संपर्क बहाली नहीं, बल्कि यह एक बड़े भरोसे और सामरिक संतुलन की दिशा में बढ़ा कदम है।

लेकिन यह याद करना ज़रूरी है कि इस प्रक्रिया में चुनौतियाँ बहुत हैं। सुरक्षा, वाणिज्यिक व्यवहार्यता, वीजा नीतियाँ और तकनीकी मानदंड — ये सभी मिलकर तय करेंगे कि यह पुनर्स्थापना टिकाऊ होगी या नहीं।

यदि यह सफल रही, तो यह भारत‑चीन संबंधों के एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है — व्यापार, कला, विज्ञान और जन संपर्क को नई उड़ान मिलेगी।

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