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OG Movie Review: पवन कल्याण की धमाकेदार वापसी

फिल्म इंडस्ट्री में यह कहना गलत नहीं होगा कि पवन कल्याण के लिए कुछ भी आसान नहीं होता। लेकिन जब भी वह सिल्वर स्क्रीन पर आते हैं, उनका प्रभाव साधारण नहीं बल्कि तूफानी साबित होता है। राजनीति का मैदान हो या सिनेमा का परदा – पवन कल्याण ने हर जगह यह दिखाया है कि वह अलग दर्जे के सितारे हैं। उनकी नई फिल्म ‘OG’ इसी बात की गवाही देती है, जिसने लंबे समय से इंतजार कर रहे दर्शकों को एक बड़ा तोहफ़ा दिया है।

निर्देशक सजीत, जिन्होंने इससे पहले साहो बनाई थी, इस बार पवन कल्याण को एक बिल्कुल नई और मौलिक कहानी में लेकर आए हैं। यह किसी रीमेक पर आधारित नहीं है, बल्कि पवन कल्याण की स्टारडम को केंद्र में रखते हुए तैयार की गई फिल्म है।


कहानी और प्रस्तुति

‘OG’ एक गैंगस्टर ड्रामा है जिसकी मूल कहानी सरल है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक शख्स जो कभी अपराध की दुनिया का बड़ा नाम था, अब शांत जीवन जीना चाहता है। लेकिन जब उसके परिवार पर संकट आता है, तो वह फिर से हथियार उठाकर अपने दुश्मनों से भिड़ जाता है।

फिल्म का हीरो गंभीर (पवन कल्याण) है, जो एक समय मुंबई का कुख्यात डॉन रह चुका है। उसके मार्गदर्शक राजू सत्यदादा (प्रकाश राज) हैं, लेकिन कहानी तब मोड़ लेती है जब ओमी भावू (इमरान हाशमी) उसकी जिंदगी में खलनायक बनकर आता है। प्रियजनों की मौत और साजिशों के चलते गंभीर को मजबूर होकर फिर से पुराने रास्ते पर लौटना पड़ता है। इसके बाद शुरू होता है खून-खराबा और बदले का सफर, जो ‘OG’ का असली सार है।

कहानी साधारण जरूर है, लेकिन निर्देशक ने इसे पेश करने का अंदाज अलग बनाया है। हर दस मिनट पर दर्शकों को नया सरप्राइज और हाई मोमेंट देखने को मिलता है, जिससे फिल्म रोमांचक बनी रहती है।


पवन कल्याण का चार्म और स्वैग

फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण पवन कल्याण का स्क्रीन प्रजेंस है। लंबे समय बाद उन्होंने ऐसा दमदार रोल निभाया है। शुरुआती आधे घंटे में उनकी एंट्री नहीं होती, लेकिन जैसे ही वह पर्दे पर आते हैं, थिएटर में शोर और तालियों से गूंज उठता है।

उनका अंदाज़, स्टाइल और डायलॉग डिलीवरी फैंस के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। “पुली की रफ्तार 50, हिरण की 80… लेकिन शिकार में हिरण पंजर में फंस ही जाता है… वजह है डर।” जैसे डायलॉग्स दर्शकों को जोश से भर देते हैं।


निर्देशन और पटकथा

सजीत ने इस बार अपने पिछले अनुभव से सीख ली है। साहो की गलतियों को सुधारते हुए उन्होंने गैंगस्टर जोन को साधारण और समझ में आने वाली कहानी से जोड़ा है। आमतौर पर इस तरह की फिल्मों में जटिलता ज्यादा होती है, लेकिन ‘OG’ को उन्होंने इस तरह डिज़ाइन किया है कि हर दर्शक इससे जुड़ सके।

इसके साथ ही फिल्म में हल्की-फुल्की प्रेम कहानी भी बुनी गई है, जो छोटी होने के बावजूद भावनात्मक रूप से दिल छू जाती है।


कलाकारों का प्रदर्शन

  • पवन कल्याण – पूरी फिल्म की रीढ़। उनका करिश्मा ही फिल्म को खास बनाता है।

  • प्रकाश राज – सत्यदादा के रूप में उन्होंने जबरदस्त काम किया और पवन कल्याण के साथ उनकी जुगलबंदी दर्शकों को भा गई।

  • इमरान हाशमी – विलेन के रोल में पूरी तरह जमे हैं। उनका नेगेटिव स्क्रीन प्रजेंस दमदार लगा।

  • प्रियंका मोहन – गंभीर की पत्नी के रूप में छोटी लेकिन भावनात्मक भूमिका निभाई।

  • सह कलाकारों में श्रीया रेड्डी, अर्जुन दास और हरीश उत्तमन ने भी कहानी को मजबूती दी।


तकनीकी पहलू

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। रवी के. चंद्रन और मनोज परमहंस ने कैमरे से विजुअल्स को शानदार तरीके से कैप्चर किया है। एक्शन सीक्वेंस इंटरनेशनल क्वालिटी के लगते हैं, खासकर पोर्ट वाला फाइट सीक्वेंस और क्लाइमेक्स।

थमन का म्यूजिक फिल्म का सबसे बड़ा हाइलाइट है। बैकग्राउंड स्कोर और गाने दोनों ही सिनेमाघरों में खास ऊर्जा पैदा करते हैं। इंटरवल ब्लॉक और क्लाइमेक्स के दौरान म्यूजिक दर्शकों को रोमांचित कर देता है।


कमियां

जहाँ पहला हाफ बेहद असरदार है, वहीं दूसरा हाफ कुछ जगह धीमा पड़ता है। बदले पर आधारित कहानी होने के कारण कहानी अनुमानित लगने लगती है। हालांकि, पवन कल्याण की अदाकारी और एक्शन सीन्स इन कमियों को काफी हद तक ढक लेते हैं।


दर्शकों की प्रतिक्रिया

‘OG’ पूरी तरह से फैंस के लिए बनाई गई फिल्म लगती है। पवन कल्याण की एंट्री और उनके डायलॉग्स पर सिनेमाघरों में जो माहौल बनता है, वह बताता है कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाने की क्षमता रखती है।


निष्कर्ष

कुल मिलाकर, ‘OG’ पवन कल्याण की असली पावर का परिचय है। भले ही कहानी नई न हो, लेकिन बेहतरीन प्रजेंटेशन, दमदार एक्शन, थमन का म्यूजिक और पवन कल्याण का स्वैग इस फिल्म को यादगार बनाता है। यह फिल्म न केवल उनके प्रशंसकों के लिए बल्कि आम दर्शकों के लिए भी फुल-ऑन एंटरटेनमेंट पैकेज साबित होगी। बॉक्स ऑफिस पर इसके बड़े धमाके तय हैं।

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