
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की हाल ही में जारी रिपोर्ट ने भारत में मोटापे और मेटाबॉलिक समस्याओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट बताती है कि बच्चों से लेकर बड़ों तक, मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।
आज जहाँ भारत कुपोषण से लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (जैसे डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज) नई चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
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बच्चों में मोटापा बढ़ा: भारत में 5 से 19 वर्ष के बच्चों में से लगभग 10% बच्चे मोटापे या ओवरवेट की समस्या से जूझ रहे हैं।
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महिलाएँ और पुरुष दोनों प्रभावित: शहरी क्षेत्रों में लगभग 30% महिलाएँ और 25% पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं।
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मेटाबॉलिक रोगों का खतरा: बढ़ते मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज तेजी से बढ़ रही हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में भी असर: पहले मोटापा केवल शहरी समस्या माना जाता था, लेकिन अब गाँवों में भी यह खतरा बढ़ रहा है।
मोटापे और मेटाबॉलिक समस्या के कारण
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फास्ट फूड और जंक फूड का चलन: बच्चे और युवा तैलीय, मीठे और प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खा रहे हैं।
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शारीरिक गतिविधियों में कमी: मोबाइल और टीवी के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधियाँ घट गई हैं।
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तनाव और असंतुलित जीवनशैली: लंबे समय तक काम करने और अस्वस्थ दिनचर्या से वयस्क प्रभावित हो रहे हैं।
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नींद की कमी: पर्याप्त नींद न लेने से मेटाबॉलिज्म बिगड़ता है।
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पारंपरिक भोजन से दूरी: दाल, सब्जी और मोटे अनाज की जगह पिज़्ज़ा-बर्गर, पैक्ड फूड का चलन बढ़ा है।
बच्चों पर प्रभाव
बचपन में मोटापा कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है:
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पढ़ाई और खेलकूद पर असर।
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आत्मविश्वास की कमी और मानसिक तनाव।
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शुरुआती उम्र में डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर की समस्या।
बड़ों पर प्रभाव
वयस्कों में मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ये समस्याएँ बढ़ रही हैं:
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हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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लिवर डिजीज और किडनी की समस्या बढ़ रही है।
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बांझपन और हार्मोनल असंतुलन खासकर महिलाओं में बढ़ता है।
भारत के लिए डबल चैलेंज
भारत की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहाँ एक तरफ कुपोषण (Malnutrition) है, और दूसरी ओर ओवर न्यूट्रिशन (Overnutrition) यानी मोटापा।
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गरीब बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं।
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वहीं मध्यवर्ग और शहरी परिवार मोटापे और मेटाबॉलिक बीमारियों का सामना कर रहे हैं।
यह विरोधाभास भारत की स्वास्थ्य नीति के लिए बड़ी चुनौती है।
समाधान और सुझाव
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संतुलित आहार: बच्चों को हरी सब्जियाँ, फल, दाल और अनाज खिलाने पर जोर।
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फिजिकल एक्टिविटी: रोज़ कम से कम 1 घंटा शारीरिक गतिविधि अनिवार्य।
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स्कूल स्तर पर पहल: स्कूल कैंटीन में जंक फूड की जगह हेल्दी फूड उपलब्ध कराना।
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जन-जागरूकता अभियान: टीवी, सोशल मीडिया और हेल्थ कैंप्स के जरिए लोगों को जागरूक करना।
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सरकारी नीतियाँ: पैक्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स पर टैक्स बढ़ाना और लेबलिंग को अनिवार्य करना।
विशेषज्ञों की राय
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AIIMS दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले 10 सालों में भारत में डायबिटीज़ और हार्ट डिजीज के मरीज दोगुने हो सकते हैं।
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WHO की चेतावनी है कि मोटापा आज की सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य महामारी बन सकता है।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
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भारत सरकार ने फिट इंडिया मूवमेंट और ईट राइट इंडिया कैंपेन जैसी पहलें शुरू की हैं।
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लेकिन इन्हें गाँव-गाँव और स्कूल स्तर तक पहुँचाने की जरूरत है।
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समाज को भी बच्चों की जीवनशैली और खानपान पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
UNICEF की रिपोर्ट भारत के लिए चेतावनी का संकेत है। मोटापा और मेटाबॉलिक समस्याएँ न सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि पूरे समाज की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।
यदि समय रहते जागरूकता और ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दशकों में भारत को स्वास्थ्य संकट (Health Crisis) का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए जरूरी है कि हम संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ और बच्चों-बड़ों दोनों की आदतों में सकारात्मक बदलाव लाएँ।