
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) को स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी कदम माना जाता है। इस योजना ने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुरक्षा की नई उम्मीद जगाई है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 80 लाख से अधिक लाभार्थी इस योजना का फायदा उठा चुके हैं। यह न केवल सरकार की बड़ी उपलब्धि है बल्कि गरीब और कमजोर तबके के लिए जीवनदायिनी पहल भी है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी।
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उद्देश्य: गरीब और वंचित वर्ग को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आर्थिक सुरक्षा देना।
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हर लाभार्थी परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाता है।
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योजना का मुख्य फोकस ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों पर है।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में यह योजना स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाने का एक अहम साधन बनी।
उत्तर प्रदेश में योजना की सफलता
उत्तर प्रदेश में योजना ने अब तक 80 लाख से अधिक लोगों तक पहुँच बनाई है।
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प्रदेश के सभी 75 जिलों में यह सेवा उपलब्ध है।
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3500 से अधिक अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र इस योजना से जुड़े हुए हैं।
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लाभार्थियों को न सिर्फ सरकारी बल्कि चुनिंदा निजी अस्पतालों में भी इलाज का अवसर मिलता है।
किन बीमारियों का इलाज मुफ्त?
योजना के अंतर्गत 1500 से अधिक बीमारियों और सर्जरी का इलाज मुफ्त किया जाता है।
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हृदय रोग (बायपास सर्जरी, एंजियोप्लास्टी)
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कैंसर का इलाज
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किडनी प्रत्यारोपण और डायलिसिस
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महिलाओं और बच्चों से जुड़ी बीमारियाँ
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हड्डियों और जोड़ से संबंधित ऑपरेशन
यह सुविधा गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है, जिन्हें महंगे इलाज के कारण पहले आर्थिक बोझ झेलना पड़ता था।
80 लाख लाभार्थियों की कहानियाँ
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वाराणसी की राधा देवी – दिल की बीमारी से जूझ रहीं राधा देवी का इलाज लखनऊ के एक निजी अस्पताल में मुफ्त हुआ।
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कानपुर के सुनील कुमार – किडनी फेल होने पर हफ्तों डायलिसिस करानी पड़ती थी, जो अब आयुष्मान कार्ड से मुफ्त मिल रहा है।
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गोरखपुर की सीमा यादव – कैंसर का इलाज मुंबई के टाटा अस्पताल में कराया गया, जिसमें पूरा खर्च योजना ने वहन किया।
इन कहानियों से साफ है कि यह योजना न केवल आर्थिक राहत दे रही है बल्कि लोगों के जीवन को सुरक्षित भी बना रही है।
सरकार की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने योजना को सफल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं:
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हर जिले में आयुष्मान मित्र तैनात किए गए हैं, जो मरीजों को जानकारी और सहायता देते हैं।
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ई-कार्ड वितरण अभियान चलाया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हों।
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मोबाइल वैन और हेल्थ कैंप के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच बनाई जा रही है।
चुनौतियाँ भी मौजूद
योजना की सफलता के बावजूद कुछ चुनौतियाँ सामने आई हैं:
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ग्रामीण इलाकों में अभी भी जागरूकता की कमी है।
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कुछ अस्पतालों पर भ्रष्टाचार और कार्ड न मानने की शिकायतें मिलती हैं।
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इलाज के बाद क्लेम सेटलमेंट में देरी होती है।
सरकार इन चुनौतियों पर काम कर रही है ताकि लाभार्थियों को बिना परेशानी सुविधा मिल सके।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को बड़ी राहत दी है।
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पहले जहाँ गंभीर बीमारियों का खर्च लाखों में होता था, अब मरीज निःशुल्क इलाज करा पा रहे हैं।
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इससे आर्थिक दिवालियापन (Medical Bankruptcy) की समस्या कम हो रही है।
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लेकिन योजना को और प्रभावी बनाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण पर जोर देना होगा।
भविष्य की दिशा
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सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले सालों में 1 करोड़ से अधिक लाभार्थियों तक योजना का विस्तार किया जाए।
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डिजिटल हेल्थ कार्ड और आधार आधारित वेरिफिकेशन से पारदर्शिता बढ़ेगी।
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टेलीमेडिसिन और ई-हॉस्पिटल सेवाओं को भी इससे जोड़ा जाएगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज भी बड़े विशेषज्ञों से जुड़ सकें।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर बदल दी है। 80 लाख से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि योजना जमीनी स्तर पर असरदार साबित हो रही है।
गरीब और कमजोर वर्ग को मुफ्त इलाज मिलना न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करता है बल्कि एक स्वस्थ समाज की ओर भी बड़ा कदम है।