
मुंबई: महाराष्ट्र में चल रहे Maratha Aarakshan आंदोलन के प्रमुख नेता मनोहर (मनोेज) जारंगे ने अपना अनशन समाप्त कर दिया है, जिससे राज्य में कुछ राहत मिली है। उनका अनशन तब तक जारी था, जब तक राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के संदर्भ में कोई स्पष्ट घोषणा नहीं करती। हालांकि, अनशन समाप्त होते ही राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया कि मराठा समुदाय को कुनबी के रूप में आरक्षण देना संभव नहीं है।
सरकार का साफ संदेश: व्यक्तिगत स्तर पर आरक्षण मिलेगा
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “इस मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पहले से ही फैसले मौजूद हैं। इस कारण, पूरे मराठा समुदाय को कुनबी के रूप में आरक्षण देना संभव नहीं है। यह आरक्षण केवल व्यक्तिगत स्तर पर दिया जा सकता है, और इसके लिए हर व्यक्ति को अलग से आवेदन करना होगा।”
फडणवीस ने यह भी बताया कि सरकार ने इस मुद्दे पर दो महीने का समय मांगा है। उनका कहना है कि सभी मराठा समुदाय को कुनबी घोषित करना एक जटिल प्रक्रिया है, और इसके लिए उचित दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “सगे-सोयरे” मुद्दे पर अधिसूचना जारी करने से पहले करीब 8 लाख आपत्तियों की जांच करनी होगी।
विनोद पाटिल का आरोप: GR बेकार है
मराठा आरक्षण को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने सरकार द्वारा जारी गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन (GR) को पूरी तरह से बेकार करार दिया है। पाटिल का कहना है कि इस GR के जरिए मराठा समुदाय को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “बिना दस्तावेजी प्रमाण के मराठा समुदाय को कभी भी कुनबी प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।” पाटिल ने यह बयान छत्रपति संभाजीनगर में मीडिया से बातचीत के दौरान दिया।
उनका कहना था, “यह फैसला समाज के लिए बड़ी निराशा है, क्योंकि बिना उचित प्रमाण के कोई भी मराठा व्यक्ति कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं कर सकेगा।”
हाईकोर्ट ने सरकार को दी फटकार
इस बीच, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आंदोलन के दौरान राज्य सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान कई नियमों का उल्लंघन किया गया। खासकर, अदालत ने आंदोलनकारियों से यह सवाल किया कि “आज़ाद मैदान” पर प्रदर्शन की अनुमति मिलने के बावजूद, क्यों शर्तों का उल्लंघन किया गया।
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मुंबई को सामान्य स्थिति में लाना बेहद जरूरी है। अदालत ने कहा कि खासतौर पर गणेश उत्सव के दौरान शहर को प्रभावित करना उचित नहीं है, क्योंकि उस समय Public Meetings, Agitations and Processions Rules, 2025 लागू होते हैं।
क्या आगे की राह आसान होगी?
मनोहर जारंगे के अनशन समाप्त करने के बाद यह सवाल उठता है कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलेगा या नहीं। अब तक सरकार और आंदोलनकारियों के बीच अनबन की स्थिति बनी हुई है, और कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है। सरकार ने जिस तरह से दो महीने का समय मांगा है, उससे साफ लगता है कि इस मामले में कोई जल्दी समाधान नहीं निकलने वाला है।
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता विनोद पाटिल और अन्य आंदोलनकारी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि सरकार सही दिशा में काम करेगी। उनके अनुसार, यदि मराठा समुदाय को वास्तविक लाभ नहीं मिला, तो आंदोलन और भी तेज़ हो सकता है।
निष्कर्ष
मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण महाराष्ट्र में राजनीतिक और सामाजिक हलचल बनी हुई है। एक ओर जहां सरकार का कहना है कि इसे लागू करने में कुछ समय लगेगा, वहीं आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता इसे जल्द लागू करने की मांग कर रहे हैं। कोर्ट ने भी इस मामले पर अपना रुख साफ किया है, और अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे का हल कब और किस रूप में निकलता है।
कौन सा रास्ता होगा सही? यह सवाल अब भी अनसुलझा है, और मराठा समुदाय इसके जवाब का इंतजार कर रहा है।