दुनिया

Afghanistan Earthquake: 800+ की मौत, बचाव कार्य मुश्किलों से जूझ रहा—देखें पूरी रिपोर्ट

Afghanistan Earthquake: आज सुबह एक तेज और गंभीर ज़रूरत की ख़बर सामने आई: अफगानिस्तान के पूर्वी इलाकों— खासकर कुन्दर और नंगरहार प्रांतों— में मूलतः 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने अब तक 800 से अधिक लोगों की जानें ले ली हैं और लगभग 2,500–2,800 लोग घायल हुए हैं।

भूकंप की तीव्रता Jalalabad के पास मूल रूप से दर्ज की गई थी, और परिदृश्य ऐसे थे कि अनेक पहाड़ी गाँव— विशेषकर कुन्दर प्रांत में मिट्टी और पत्थर से बने घर— पूरी तरह ध्वस्त हो गए।
भूकंप अत्यंत सतही था (लगभग 8–10 किलोमीटर की गहराई पर), जिससे इसका प्रभाव और विकराल हो गया।


बचाव–ऊपर उठने लगी मुश्किलें

भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र पहाड़ी और दूरस्थ होने के कारण बचाव कार्य में कई बाधाएं आ रही हैं— जैसे कि मानिसक रास्ते बंद होना, भूस्खलन, और संचार नेटवर्क का ध्वस्त होना
डॉक्टरों और मेडिकल शिपमेंट्स समेत हेलिकॉप्टर रेस्क्यू टीमें ज़िलों में भेजी गई हैं ताकि ज़िंदा बचे ज़रूरतमंदों तक पहुंचा जा सके।


ह्यूमैनिटेरियन संकट और अंतर्राष्ट्रीय मदद

अफगानिस्तान पहले से ही मानवतावादी संकट में जूझ रहा है। इस भूकंप ने उस संकट की तह को और गहरा कर दिया है। UN, इंडिया और चीन ने राहत सामग्री भेजना शुरू कर दिया है। भारत ने 1,000 तंबू और 15 टन खाद्य सामग्री भेजने का ऐलान किया है।
हालाँकि, अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग में लगातार कमी आ रही है, और अफगान सरकार बचाव कार्यों में सीमित संसाधनों की मार झेल रही है।


लोगों की बयानी — दर्दनाक और हृदयविदारक

राहत एवं बचाव कार्य के दौरान कुछ बेटियों और बुजुर्गों को मलबे के नीचे दर्दनाक स्थिति में पाया गया। कई परिवार मलबे को खोदकर अपने प्रियजनों को बाहर निकालने में लगे हैं, एक भय और त्रासदी से भरी रात का सामना कर रहे हैं।
एक छात्र ने बताया, “पूरी रात डर और बेचैनी में बीती, जैसे अगले क्षण भूकंप फिर आ जाए।”


निष्कर्ष: अफगानिस्तान की संघर्षपूर्ण आपदा में वर्ल्ड का सहयोग ज़रूरी

यह भूकंप अफगानिस्तान की मौजूदा मानवतावादी ज़रूरतों को एक बार फिर उजागर करता है। कमजोर बुनियादी ढांचा, सीमित संसाधन और कठोर भूधार्मिक परिस्थितियाँ मिलकर इस त्रासदी को और भयानक बना रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल सहायता की अपील जारी है, ताकि लोग पानी, भोजन, मेडिकल और आश्रय जैसी मूलभूत ज़रूरतों से वंचित न रहें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button