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Luthra Brothers Fraud: लूथरा ब्रदर्स पर 42 शेल कंपनियों का शक | थाईलैंड में गिरफ्तारी और कॉर्पोरेट फ्रॉड की पड़ताल

Luthra Brothers Fraud: थाईलैंड के फुकेत में आज पकड़े गए Birch by Romeo Lane के मालिक सौरभ और गौरव लूथरा अब एक और बड़े विवाद में फंसते दिखाई दे रहे हैं। इंडिया टुडे टीवी की जांच में सामने आया है कि दोनों भाई न सिर्फ गोवा के होटल में लगी भीषण आग के आरोपी हैं, बल्कि उन पर बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का भी संदेह गहराता जा रहा है। दस्तावेज़ों की समीक्षा में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया—लूथरा ब्रदर्स कुल 42 कंपनियों और LLPs से जुड़े हुए हैं, और इनमें से कई कंपनियाँ सिर्फ कागज़ों पर मौजूद “शेल कंपनियाँ” होने की आशंका है।

यह नया खुलासा न सिर्फ गोवा फायर त्रासदी के बाद उठे सवालों को और गहरा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि आतिथ्य उद्योग में सक्रिय इस परिवार ने कैसे एक बड़े नेटवर्क का निर्माण किया, जिसके पीछे कई लेयरिंग और संदिग्ध लेन-देन छिपे हो सकते हैं।

42 कंपनियाँ… वही पता… और वही लोग—शंका क्यों गहराई?

कॉर्पोरेट रिकॉर्ड्स की जांच बताती है कि दिल्ली के उत्तर क्षेत्र में मौजूद एक ही पते पर कम से कम 42 कंपनियाँ रजिस्टर्ड हैं। इन सभी कंपनियों में किसी न किसी रूप में लूथरा ब्रदर्स का नाम डायरेक्टर, पार्टनर या ऑथराइज्ड सिग्नेटरी के तौर पर मौजूद है।

कानूनी जानकारों के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में कंपनियों का एक ही पते से चलना और उन्हीं लोगों द्वारा संचालित होना अक्सर शेल कंपनियों, बेनामी सौदों और मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत देता है। ये कंपनियाँ आमतौर पर कागज़ों पर मौजूद रहती हैं, ताकि पैसे के लेन-देन को कई लेयर्स में छुपाया जा सके और नियामक संस्थाओं को भ्रमित किया जा सके।

कई कंपनियाँ सिर्फ नाम की—कोई गतिविधि नहीं, कोई ग्राहक नहीं, कोई लोकेशन नहीं

इस पूरे नेटवर्क की जब गहराई से पड़ताल की गई, तो सामने आया कि इन कंपनियों का वास्तविक संचालन लगभग न के बराबर है।

  • कोई पब्लिक वेबसाइट नहीं

  • कोई ग्राहक समीक्षा नहीं

  • कोई सक्रिय सोशल मीडिया हैंडल नहीं

  • कोई वास्तविक लोकेशन या व्यवसायिक गतिविधि नहीं

इन तथ्यों ने एजेंसियों के बीच संदेह को और मजबूत कर दिया है।

दस्तावेज़ों के अनुसार, कुछ कंपनियों ने दावा किया है कि वे फुकेत, थाईलैंड में अंतरराष्ट्रीय कारोबार चला रही हैं, लेकिन जांच में किसी भी वास्तविक आउटलेट या रेस्टोरेंट के संचालन का प्रमाण नहीं मिला। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इन कंपनियों के नाम पर विदेशों में भी लेयरिंग की जा रही थी?

जांच के दायरे में आने वाली संदिग्ध कंपनियाँ

फिलहाल जिन प्रमुख कंपनियों की जांच तेज हुई है, उनमें शामिल हैं:

  • ओएसआरजे फूड एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड

  • बीइंग जीएस हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड

  • बीइंग एफएस पैसिफिक हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड

  • बीइंग लाइफ हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड

  • बीइंग भारत हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड

  • वर्च्यू फूड एंड बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड

इन कंपनियों को लेकर शुरुआती जांच में पता चला है कि इनमें से कई सिर्फ दस्तावेज़ों पर बनाई गई इकाइयाँ हो सकती हैं। ये कंपनियाँ किस तरह पैसा प्राप्त कर रही थीं, कहां से फंडिंग आ रही थी और पैसा कहां भेजा जा रहा था—अब यह सब जांच का विषय बन चुका है।

थाईलैंड से गिरफ्तारी—गोवा फायर केस में नई कार्रवाई

आज सुबह बड़ा घटनाक्रम हुआ जब लूथरा ब्रदर्स थाईलैंड के फुकेत में गिरफ्तार किए गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोवा के Birch by Romeo Lane में लगने वाली आग के कुछ ही घंटों बाद दोनों भाई दिल्ली से एक IndiGo फ्लाइट लेकर थाईलैंड के लिए रवाना हो गए थे।

गोवा पुलिस ने इंटरपोल और थाईलैंड की पुलिस के साथ समन्वय कर दोनों को हिरासत में लिया। अधिकारियों के मुताबिक, एक पुलिस टीम जल्द ही फुकेत पहुंचेगी ताकि दोनों आरोपियों को भारत लाकर गोवा फायर ट्रेजेडी मामले में पूछताछ की जा सके।

गोवा फायर केस—फरार होने की कोशिश से बढ़ा संदेह

गोवा के प्रसिद्ध बीच बेल्ट में बने Birch by Romeo Lane क्लब में लगी आग में कई लोग घायल हुए थे। शुरुआती जांच में सामने आया कि होटल में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया था। लूथरा ब्रदर्स के देश छोड़ने पर पुलिस का शक और गहरा गया।

अब जब कॉर्पोरेट दस्तावेज़ों में 42 संदिग्ध कंपनियों के लिंक सामने आए हैं, तो यह पूरा मामला एक बड़े आर्थिक और कानूनी विवाद का रूप ले सकता है।

क्या हो सकता है अगला कदम?

जांच एजेंसियाँ अब तीन बड़े पहलुओं पर काम करेंगी:

  1. क्या ये कंपनियाँ सिर्फ कागज़ों पर मौजूद शेल कंपनियाँ हैं?
    जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि हो सकती है।

  2. क्या विदेशों में दावा किया गया व्यवसाय भी फर्जी है?
    इससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराधों की जांच बढ़ सकती है।

  3. गोवा फायर केस में इन कंपनियों की भूमिका क्या रही?
    फंडिंग, लाइसेंसिंग और परिचालन में कोई गैरकानूनी गतिविधि तो नहीं?

आर्थिक अपराध शाखा (EOW), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) इस मामले में जल्द संयुक्त जांच शुरू कर सकते हैं।

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