
India US Trade Tensions: भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के माहौल में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर महत्वपूर्ण बातचीत हुई। दोनों नेताओं की यह चर्चा ऐसे समय में हुई है जब भारत-अमेरिका संबंध वैश्विक राजनीति, रक्षा सहयोग और आर्थिक साझेदारी के लिहाज से बेहद अहम दौर से गुजर रहे हैं।
फोन कॉल के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-अमेरिका के बीच चल रहे Comprehensive Global Strategic Partnership की प्रगति की समीक्षा की और इसे और मजबूत बनाने का संकल्प दोहराया। दोनों नेताओं ने इस बात पर संतोष जताया कि हाल के वर्षों में दोनों देशों की साझेदारी कई क्षेत्रों में तेजी से गहरी हुई है—चाहे वह रक्षा सहयोग हो, ऊर्जा सुरक्षा, महत्वपूर्ण तकनीकें हों या वैश्विक मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन।
व्यापार तनाव के बीच रिश्तों की मजबूती पर जोर
हाल ही में व्यापार को लेकर भारत और अमेरिका के बीच कुछ मतभेद सामने आए हैं। अमेरिकी प्रशासन द्वारा कुछ उत्पादों पर बढ़ा शुल्क, और जवाब में भारत की प्रतिक्रिया ने तनाव बढ़ाया था। ऐसे समय में दोनों नेताओं की यह बातचीत इन तनावों को कम करने और व्यापारिक रिश्तों में सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
बातचीत के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप दोनों ने इस बात को रेखांकित किया कि द्विपक्षीय व्यापार दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर न सिर्फ अपने व्यापारिक हितों को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी स्थिरता प्रदान कर सकते हैं।
दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि व्यापारिक सहयोग की रफ्तार रुकनी नहीं चाहिए, बल्कि इसे और गति दी जानी चाहिए। यह बयान नवंबर और दिसंबर में सामने आए उन तनावों के बीच काफी महत्वपूर्ण है, जिनमें अमेरिकी चेतावनियों और भारतीय प्रतिक्रिया ने माहौल को थोड़ा प्रभावित किया था।
रक्षा, ऊर्जा और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर गहन चर्चा
फोन कॉल में भारत और अमेरिका के बीच COMPACT (Catalysing Opportunities for Military Partnership, Accelerated Commerce & Technology) की प्रगति पर भी चर्चा हुई। यह पहल दोनों देशों के बीच 21वीं सदी की रणनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
इस ढांचे के तहत भारत और अमेरिका:
-
रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रहे हैं
-
महत्वपूर्ण और उभरती तकनीकों—जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, क्वांटम टेक्नोलॉजी—में सहयोग मजबूत कर रहे हैं
-
ऊर्जा क्षेत्र में साफ और सस्ती ऊर्जा समाधान विकसित करने पर काम कर रहे हैं
-
समुद्री सुरक्षा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और आतंकवाद से मुकाबले में अपना समन्वय बढ़ा रहे हैं
इस बातचीत का फोकस सिर्फ हालिया चुनौतियों पर नहीं था, बल्कि लंबी अवधि तक चलने वाली रणनीतिक साझेदारी पर भी रहा। दोनों नेताओं ने माना कि भारत और अमेरिका का सहयोग न सिर्फ दोनों देशों के हित में है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए भी स्थिरता का स्रोत है।
क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा
फोन कॉल में पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचार साझा किए।
-
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियां
-
वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अनिश्चितता
-
ऊर्जा आपूर्ति की चुनौतियाँ
-
आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा
-
रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव
-
पश्चिम एशिया में तनाव
इन सभी मुद्दों पर दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की स्थिति को समझने और आपसी समन्वय से काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
बातचीत का महत्त्व—क्यों है यह कॉल चर्चा में?
भारत और अमेरिका दोनों ही आज की वैश्विक व्यवस्था में सबसे मजबूत साझेदार हैं। बीते दशक में दोनों के बीच ऐसे कई समझौते हुए हैं, जिन्होंने रिश्तों को नए स्तर पर पहुंचाया है। ऐसे में जब व्यापार को लेकर तनाव सामने आ रहे थे, दुनिया के दो बड़े लोकतंत्रों का संवाद कायम रखना बेहद जरूरी था।
इस बातचीत से यह संदेश स्पष्ट गया कि दोनों देश छोटे-मोटे मतभेदों के बावजूद व्यापक रणनीतिक लक्ष्यों पर एकजुट हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कॉल न सिर्फ व्यापारिक तनाव को कम करेगी, बल्कि आने वाले महीनों में दोनों देशों के बीच नए समझौतों और आर्थिक सहयोग की राह भी खोलेगी।
बातचीत का निष्कर्ष—रिश्तों को नई दिशा मिलने की उम्मीद
वार्ता के अंत में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देश आगे भी नियमित संवाद बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका की साझेदारी 21वीं सदी की वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब दुनिया भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं से गुजर रही है। ऐसे में भारत और अमेरिका का सहयोग वैश्विक स्थिरता, तकनीकी प्रगति और सुरक्षा साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।



