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Amit Shah vs Rahul Gandhi: लोकसभा में अमित शाह और राहुल गांधी की तीखी बहस, ‘वोट चोरी’ पर भिड़े दोनों दिग्गज

लोकसभा में जबरदस्त टकराव: Amit Shah vs Rahul Gandhi के बीच ‘वोट चोरी’ पर तीखी बहस

Amit Shah vs Rahul Gandhi: बुधवार को लोकसभा का माहौल उस वक्त अचानक गरमा गया, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। मामला चुनाव सुधारों पर चल रही चर्चा का था, लेकिन बात पहुंच गई कथित ‘वोट चोरी’ और चुनाव आयोग की भूमिका पर। राहुल गांधी ने सदन में अमित शाह के भाषण के बीच हस्तक्षेप करते हुए उन्हें सार्वजनिक बहस की चुनौती दे डाली, जिसके बाद सदन का माहौल पूरी तरह सियासी अखाड़े में बदल गया।


चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान भड़का विवाद

लोकसभा में जब चुनावी सुधारों और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया पर चर्चा चल रही थी, तब गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल SIR से इसलिए घबराए हुए हैं क्योंकि इससे उन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे, जो अवैध रूप से वोट डालते हैं और जिन्हें कथित तौर पर विपक्ष का समर्थन मिलता है।

अमित शाह के इस बयान पर राहुल गांधी बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने बीच में ही टोकते हुए शाह को सीधे-सीधे ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर बहस की चुनौती दे दी।


राहुल गांधी की खुली चुनौती, अमित शाह का तीखा जवाब

राहुल गांधी ने सदन में कहा कि वह इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पहले ही सबूत दे चुके हैं और वह अमित शाह को खुली बहस की चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि जो उन्होंने पत्रकारों के सामने कहा है, उसी पर वह आज भी बहस के लिए तैयार हैं।

राहुल गांधी की इस चुनौती पर अमित शाह ने बिना देर किए करारा जवाब देते हुए कहा कि यह राहुल गांधी तय नहीं करेंगे कि वह किस मुद्दे पर बोलेंगे और किस क्रम में बोलेंगे। शाह ने साफ शब्दों में कहा कि बोलने का अनुशासन सीखना होगा और सदन के नियमों का पालन करना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने भाषण का क्रम खुद तय करेंगे और विपक्ष दबाव नहीं बना सकता।


‘हाइड्रोजन बम’ बयान और ‘वोट चोर’ की गूंज

इस टकराव के बाद अमित शाह और आक्रामक हो गए। उन्होंने राहुल गांधी के हालिया बयानों पर तंज कसते हुए कहा कि उनका तथाकथित ‘हाइड्रोजन बम’ सिर्फ एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश है, जिसमें ‘वोट चोरी’ का शोर मचाया जा रहा है। शाह ने कहा कि कुछ राजनीतिक परिवार ऐसे हैं जो पीढ़ियों से ‘वोट चोरी’ की राजनीति करते आए हैं। हालांकि उन्होंने सीधे नाम नहीं लिया, लेकिन उनके इस बयान को नेहरू-गांधी परिवार की ओर इशारा माना गया।

यह बयान आते ही सदन में हंगामा और तेज हो गया और सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच जमकर शोर-शराबा हुआ।


राहुल गांधी के तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस और गंभीर आरोप

इस पूरे विवाद की जड़ राहुल गांधी के वे तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस हैं, जो उन्होंने इसी साल की शुरुआत में की थीं। इन तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत कर कई राज्यों में ‘वोट चोरी’ की है।

राहुल गांधी ने अपने आरोपों में खास तौर पर कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा का जिक्र किया था। उन्होंने दावा किया था कि इन राज्यों में मतदाता सूचियों में हेरफेर कर चुनाव परिणामों को प्रभावित किया गया है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया था।


अमित शाह का पलटवार: कांग्रेस की राजनीति सिर्फ नैरेटिव की लड़ाई

राहुल गांधी के लगातार आरोपों पर अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस अब जमीनी राजनीति छोड़कर सिर्फ नैरेटिव की लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष हार को स्वीकार करने के बजाय ‘वोट चोरी’ का बहाना बना रहा है।

शाह ने कहा कि चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है और उस पर सवाल उठाना लोकतंत्र की जड़ों पर चोट करने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि SIR जैसी प्रक्रियाएं वोटर लिस्ट को साफ करने के लिए जरूरी हैं, ताकि फर्जी वोटिंग पर रोक लगाई जा सके।


सदन का माहौल हुआ गर्म, सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

अमित शाह और राहुल गांधी के इस टकराव के बाद लोकसभा का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया। सत्ता पक्ष के सांसदों ने राहुल गांधी के आरोपों पर विरोध जताया, जबकि विपक्षी सांसदों ने अमित शाह के बयान को तीखा हमला बताया।

कुछ देर तक सदन में नारेबाजी और हंगामा चलता रहा, जिसके चलते कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। यह टकराव न सिर्फ सदन के अंदर, बल्कि बाहर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।


2024 के बाद भी जारी सियासी संग्राम

भले ही लोकसभा चुनाव हो चुके हों, लेकिन चुनावी परिणामों के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासी जंग थमती नजर नहीं आ रही है। राहुल गांधी लगातार चुनाव प्रक्रिया और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि बीजेपी इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश बता रही है।

अमित शाह और राहुल गांधी का यह आमना-सामना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक तापमान और बढ़ सकता है।


राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस समय ‘वोट चोरी’ का मुद्दा बनाकर एक बड़ा नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनावी हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी जा सके। वहीं बीजेपी इसे विपक्ष की हताशा और हार स्वीकार न कर पाने की मनोस्थिति बता रही है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप से लोकतांत्रिक संस्थाओं पर जनता का भरोसा प्रभावित हो सकता है, जो किसी भी देश के लिए चिंताजनक स्थिति है।


बहस से ज्यादा टकराव की राजनीति

लोकसभा में अमित शाह और राहुल गांधी के बीच हुआ यह तीखा टकराव सिर्फ एक बहस नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की मौजूदा तस्वीर को दर्शाता है, जहां मुद्दों से ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप और नैरेटिव की लड़ाई हावी होती जा रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बहस किसी ठोस राजनीतिक दिशा की ओर जाती है या फिर सिर्फ सियासी बयानबाजी बनकर रह जाती है।

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