
Babri Masjid Anniversary Bengal Tension: पश्चिम बंगाल के मुरशिदाबाद जिले में शनिवार को अचानक हालात तनावपूर्ण हो गए, जब निलंबित तृणमूल कांग्रेस (TMC) विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनने वाली एक नई मस्जिद का शिलान्यास किया। यह कार्यक्रम 6 दिसंबर को हुआ, जो अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी का दिन है। इसी वजह से इस आयोजन को लेकर पहले से ही राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भारी विवाद बना हुआ था।
कुरान की तिलावत के साथ हुआ शिलान्यास
कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर के समय कुरान की तिलावत से हुई। इसके बाद विधिवत रूप से मस्जिद की नींव रखी गई। हुमायूं कबीर ने दावा किया कि इस मौके पर हजारों लोग मौजूद थे। उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब से आए दो मौलाना भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम स्थल पर ‘नारे-ए-तकबीर’ और ‘अल्लाहु अकबर’ जैसे धार्मिक नारे गूंजते रहे। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में साफ देखा गया कि उनके समर्थक सिर पर ईंटें लेकर जुलूस की शक्ल में आयोजन स्थल की ओर बढ़ रहे थे।
संवेदनशील इलाका, पहले भी हो चुकी है हिंसा
मुरशिदाबाद पहले से ही एक संवेदनशील जिला माना जाता है, जहां करीब 67 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। कुछ ही महीने पहले अप्रैल में वक्फ बिल के विरोध के दौरान यहां हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें करीब पांच लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे।
इसी वजह से इस बार प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा और किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई।
इलाका छावनी में तब्दील, भारी सुरक्षा बल तैनात
कार्यक्रम के दौरान पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया। राज्य पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई थी। सड़कें बेरिकेटिंग से घिरी रहीं और ड्रोन से निगरानी की गई।
नेशनल हाईवे-12 पर यातायात बाधित न हो, इसके लिए करीब 3,000 वालंटियर्स की तैनाती की गई। प्रशासन का मुख्य फोकस यह था कि आम लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो और कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में रहे।
60 हजार लोगों के लिए भोज, खर्च 70 लाख से ज्यादा
कार्यक्रम में शामिल लोगों के लिए बड़े स्तर पर खाने की भी व्यवस्था की गई थी। आयोजकों ने सात बड़ी कैटरिंग एजेंसियों को शाही बिरयानी बनाने का ठेका दिया था।
करीब 40 हजार मेहमानों और 20 हजार स्थानीय लोगों के लिए भोजन तैयार किया गया। हुमायूं कबीर के एक करीबी सहयोगी के अनुसार, सिर्फ खाने पर ही लगभग 30 लाख रुपये खर्च हुए, जबकि पूरे आयोजन का कुल बजट 70 लाख रुपये से भी अधिक रहा।
हुमायूं कबीर पहले ही हो चुके हैं निलंबित
इस विवादास्पद मस्जिद परियोजना से पहले ही तृणमूल कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को पार्टी से निलंबित कर दिया था। पार्टी का कहना था कि यह आयोजन टीएमसी की आधिकारिक नीति का हिस्सा नहीं है।
हुमायूं कबीर का कहना है कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही थी और कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन ने उन्हें पूरा सहयोग दिया।
मामला पहुंचा हाईकोर्ट, लेकिन रोक नहीं लगी
यह मुद्दा कलकत्ता हाईकोर्ट तक भी पहुंचा था। याचिका में मस्जिद निर्माण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि कोर्ट ने निर्माण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
लेकिन अदालत ने राज्य सरकार को यह सख्त निर्देश जरूर दिया कि आयोजन के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना सरकार की पूरी जिम्मेदारी होगी।
टीएमसी ने बनाई दूरी, मनाया ‘साम्हति दिवस’
तृणमूल कांग्रेस ने खुद को इस पूरे आयोजन से अलग कर लिया। पार्टी ने उसी दिन ‘साम्हति दिवस’ यानी एकता दिवस मनाने का फैसला किया। पार्टी नेताओं का कहना था कि बंगाल में शांति, भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।
बीजेपी का बड़ा हमला, ‘राजनीतिक प्रोपेगेंडा’ का आरोप
बीजेपी ने इस पूरे मामले को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला किया। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि यह मस्जिद प्रोजेक्ट धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्यक्रम भावनाओं को भड़काने और मुस्लिम वोट बैंक को ध्रुवीकृत करने के लिए रखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी सत्ता के लिए बंगाल को अशांति की आग में झोंकने से भी नहीं हिचकेंगी।
2026 चुनाव से पहले माहौल गरमाने का आरोप
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यह सब 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले माहौल खराब करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनने के बाद बाबरी मस्जिद का मुद्दा खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन टीएमसी जानबूझकर पुराने जख्मों को हरा कर रही है।
टीएमसी का पलटवार, कबीर को बताया ‘बीजेपी का एजेंट’
टीएमसी ने बीजेपी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी नेताओं का कहना है कि हुमायूं कबीर बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं और उनका मकसद मुरशिदाबाद में हिंसा भड़काना है।
पार्टी का दावा है कि मुरशिदाबाद के लोग शांति पसंद हैं और किसी भी उकसावे में नहीं आएंगे।
धार्मिक आस्था या चुनावी राजनीति?
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह सवाल फिर खड़ा हो गया है कि क्या यह मस्जिद निर्माण धार्मिक आस्था का विषय है या फिर 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक ध्रुवीकरण की रणनीति?
मुरशिदाबाद जैसे संवेदनशील इलाके में इस तरह के आयोजन से सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर पड़ सकता है।
फिलहाल नियंत्रण में हालात, लेकिन सियासत तेज
हालांकि शनिवार का कार्यक्रम बिना किसी बड़ी हिंसा के संपन्न हो गया, लेकिन प्रशासन अब भी पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीति और बयानबाजी और तेज होने की संभावना है।



