
IndiGo Flight Chaos: देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन IndiGo बीते तीन दिनों से गंभीर उड़ान संकट से जूझ रही है। हजारों यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा, सैकड़ों नहीं बल्कि 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं और एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। इस पूरे संकट पर अब पहली बार कंपनी के CEO पीटर एल्बर्स (Pieter Elbers) का आधिकारिक बयान सामने आया है। उन्होंने साफ तौर पर माना कि हालात बेहद गंभीर हैं और स्थिति को पूरी तरह सामान्य होने में अब भी 5 से 10 दिन लग सकते हैं।
दिलचस्प बात यह रही कि CEO के इस बयान से कुछ घंटे पहले ही सरकार ने भरोसा दिलाया था कि शनिवार तक हालात सामान्य हो जाएंगे और सोमवार तक सेवाएं पूरी तरह बहाल हो जाएंगी। लेकिन एल्बर्स के बयान ने साफ कर दिया कि संकट उतना आसान नहीं है, जितना पहले बताया जा रहा था।
पीटर एल्बर्स ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि 5 दिसंबर IndiGo के लिए अब तक का सबसे प्रभावित दिन रहा, क्योंकि इस दिन 1000 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं, जो कि कंपनी की दैनिक उड़ानों की संख्या का आधे से भी ज्यादा हिस्सा है। उन्होंने माना कि यात्रियों को हुई परेशानी से कंपनी को खुद भी काफी नुकसान पहुंचा है।
CEO के मुताबिक, यह पूरी व्यवस्था इसलिए बिगड़ी क्योंकि IndiGo को अपने पूरे ऑपरेशनल सिस्टम को रीबूट (Restart) करना पड़ा। यही तकनीकी प्रक्रिया कंपनी के लिए एक बड़ा झटका बन गई और उड़ान सेवाएं अचानक बुरी तरह प्रभावित हो गईं।
पीटर एल्बर्स ने यात्रियों से खास अपील की कि जिनकी फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी हैं, वे एयरपोर्ट न जाएं, क्योंकि इससे केवल और ज्यादा असुविधा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यात्रियों को SMS, ईमेल और सोशल मीडिया के जरिए लगातार अपडेट दिया जा रहा है।
अपने बयान में उन्होंने कहा,
“पिछले कुछ दिनों से हम बेहद गंभीर ऑपरेशनल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आज यानी 5 दिसंबर को हालात सबसे ज्यादा खराब रहे, क्योंकि 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं। हमें उम्मीद है कि 10 से 15 दिसंबर के बीच सेवाएं धीरे-धीरे पूरी तरह सामान्य हो जाएंगी।”
CEO ने इस पूरे मामले के लिए यात्रियों से दिल से माफी भी मांगी। उन्होंने कहा कि
“IndiGo की पूरी टीम की ओर से हम उन सभी यात्रियों से माफी चाहते हैं, जिन्हें उड़ान रद्द होने या देरी की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा।”
IndiGo की तीन-स्तरीय रणनीति
इस संकट से उबरने के लिए IndiGo के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) ने भी जानकारी दी कि कंपनी ने तीन स्तरों पर एक्शन प्लान बनाया है। सबसे पहले यात्रियों से सीधे संवाद को मजबूत किया गया है। मैसेज और सोशल मीडिया के जरिए रिफंड, कैंसिलेशन और री-बुकिंग से जुड़ी जानकारी दी जा रही है। कंपनी ने अपने कस्टमर सपोर्ट स्टाफ की संख्या भी बढ़ा दी है, ताकि यात्रियों को जल्दी सहायता मिल सके।
दूसरा बड़ा कदम यह उठाया गया कि जिन यात्रियों की उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, उनसे साफ कहा गया है कि वे एयरपोर्ट न आएं। इससे टर्मिनल पर भीड़ और अव्यवस्था को काफी हद तक कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है।
तीसरा और सबसे अहम फैसला यह लिया गया कि शुक्रवार को ही बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द कर दी गईं, ताकि शनिवार सुबह से Crews और Aircrafts सही जगह पर मौजूद हों और संचालन नए सिरे से शुरू किया जा सके।
एल्बर्स ने उम्मीद जताई कि शनिवार को रद्द होने वाली उड़ानों की संख्या 1000 से कम रहेगी, जिससे धीरे-धीरे हालात में सुधार देखने को मिलेगा।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि
“पिछले कुछ दिनों में जो कदम उठाए गए थे, वे पर्याप्त साबित नहीं हुए। इसलिए हमने पूरे सिस्टम और शेड्यूल को रीसेट करने का कड़ा फैसला लिया, जिससे एक दिन के लिए नुकसान ज्यादा हुआ, लेकिन आगे सुधार की उम्मीद मजबूत हुई है।”
DGCA और सरकार की भूमिका
पीटर एल्बर्स ने इस पूरे संकट के दौरान DGCA (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) के समर्थन की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि DGCA की ओर से FDTL (Flight Duty Time Limit) में अस्थायी राहत दी गई, जिससे ऑपरेशन्स को संभालने में मदद मिली।
कंपनी का कहना है कि वे नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA के साथ लगातार संपर्क में हैं और आने वाले दिनों में स्थिति के बेहतर होने की उम्मीद है। सरकार भी इस पूरे मामले पर गंभीर नजर बनाए हुए है।
इस बीच केंद्र सरकार ने IndiGo की सेवाओं में आई इस भारी गड़बड़ी को लेकर हाई-लेवल जांच के आदेश भी दे दिए हैं। इस जांच का मकसद यह पता लगाना है कि इतनी बड़ी तकनीकी और ऑपरेशनल चूक आखिर कैसे हुई और भविष्य में ऐसे हालात दोबारा न पैदा हों।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों की मदद के लिए 24×7 कंट्रोल रूम भी स्थापित किया है, जहां से उड़ानों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर तत्काल हस्तक्षेप किया जा रहा है।
19 साल में बनी भरोसे की छवि को लगा झटका
CEO पीटर एल्बर्स ने यह भी स्वीकार किया कि इस संकट ने IndiGo की उस भरोसेमंद छवि को गहरी चोट पहुंचाई है, जो उसने पिछले 19 वर्षों में बनाई थी। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा एहसास है कि यात्रियों का भरोसा टूटना किसी भी एयरलाइन के लिए सबसे बड़ी क्षति होती है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि IndiGo की टीमें और ग्राउंड स्टाफ दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि हालात को जल्द से जल्द सामान्य बनाया जा सके। कंपनी सिर्फ भरोसा वापस पाना ही नहीं चाहती, बल्कि उसे पहले से भी मजबूत बनाना चाहती है।
यात्रियों की परेशानी और गुस्सा
इन तीन दिनों में हजारों यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई लोग एयरपोर्ट पर घंटों फंसे रहे, किसी को दूसरी फ्लाइट नहीं मिली, तो किसी को रिफंड को लेकर परेशानी झेलनी पड़ी। सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर रहे हैं।
कई यात्रियों ने यह आरोप लगाया कि उन्हें समय पर सही जानकारी नहीं दी गई, जिससे वे बेवजह एयरपोर्ट पहुंचे और उनका समय व पैसा दोनों बर्बाद हुआ।
आगे क्या?
अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि 10 से 15 दिसंबर के बीच क्या IndiGo वाकई अपनी उड़ानों को पूरी तरह सामान्य कर पाएगा या नहीं। क्योंकि यह सिर्फ एक कंपनी का संकट नहीं है, बल्कि देश के हवाई यातायात पर इसका सीधा असर पड़ा है।
अगर हालात समय पर नहीं संभले, तो यह संकट आने वाले छुट्टियों के सीजन में लाखों यात्रियों की योजना बिगाड़ सकता है।
फिलहाल IndiGo, DGCA और सरकार — तीनों मिलकर हालात को काबू में लाने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इस झटके से कितनी मजबूती से बाहर निकल पाती है।



