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JNU Election Result 2025: JNU छात्रसंघ चुनाव में मतगणना तेज, कैंपस में जश्न और नारेबाज़ी, गुरुवार तक नतीजे

JNU Election Result 2025: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्रसंघ चुनाव की मतगणना तेजी से जारी है और जैसे-जैसे वोटों के रुझान सामने आ रहे हैं, कैंपस में उत्साह, चर्चा और माहौल की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। बीते मंगलवार देर रात सबसे पहले काउंसलर पदों की मतगणना की शुरुआत हुई थी, जिसके बाद बुधवार दोपहर से केंद्रीय पैनल के उम्मीदवारों के वोट भी गिने जाने शुरू हो गए। हालांकि, चुनाव बैलट पेपर से कराए गए थे, जिसकी वजह से मतगणना में अपेक्षा से अधिक समय लग रहा है।

चुनाव अधिकारियों के अनुसार, मतगणना का अंतिम परिणाम गुरुवार शाम तक आने की संभावना है। यानी फिलहाल पूरा कैंपस इंतजार और रोमांच की स्थिति में है।

कैंपस में जश्न, नारेबाज़ी और पोस्टर वॉर

JNU में छात्रसंघ चुनाव सिर्फ एक छात्र संगठन का चयन नहीं, बल्कि एक विचारधारा की लड़ाई माना जाता है। यह चुनाव वर्षों से राष्ट्रीय राजनीति पर भी प्रभाव डालता आया है। इसलिए जब-जब वोटों की गिनती होती है, कैंपस में एक उत्सव जैसा माहौल बन जाता है।

जैसे-जैसे वोटों के राउंड पूरे होते जा रहे हैं, समर्थक समूह लगातार नारेबाज़ी कर रहे हैं—

  • “लाल किला नहीं गिरने वाला!”

  • “छात्र एकता जिंदाबाद!”

  • “फासीवाद मुर्दाबाद!”

सोशल मीडिया पर भी रियल-टाइम पोस्ट और अपडेट्स की भरमार देखने को मिल रही है। ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर चुनाव हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।

मतगणना में देरी क्यों हो रही है?

चूंकि JNU में लंबे समय से पेपर बैलेट सिस्टम लागू है, इसलिए वोटों की गिनती इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की तुलना में काफी धीमी होती है। हर बैलेट को हाथ से जांचना, गिनना और क्रॉस-वेरिफाई करना होता है। इसके अलावा काउंसलर पदों की संख्या भी अधिक है, जिससे प्रक्रिया का समय बढ़ जाता है।

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार:

  • मतगणना पूरी पारदर्शिता के साथ हो रही है

  • प्रत्येक मेज पर निर्धारित पर्यवेक्षक तैनात हैं

  • गिनती रात-दिन चलती रहेगी

छात्र राजनीति में वैचारिक आमना-सामना

JNU छात्र राजनीति में हमेशा से दो प्रमुख ध्रुव देखे जाते हैं—वामपंथी छात्र संगठनों का गठबंधन और ABVP का प्रतिनिधित्व करने वाला दक्षिणपंथी समूह
इस बार भी मुकाबला प्रमुख रूप से इन दोनों धड़ों के बीच देखा जा रहा है, हालांकि कई स्वतंत्र और क्षेत्रीय छात्र संगठन भी मैदान में हैं।

कैंपस के राजनीतिक माहौल में यह चुनाव सिर्फ छात्र मुद्दों का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि यह देश की छात्र राजनीति और बौद्धिक विचारधारा की दिशा भी तय करता है।

कौन से मुद्दे रहे इस चुनाव में चर्चा का केंद्र?

  • बढ़ती फीस और छात्रावास में हुई कठिनाइयाँ

  • विश्वविद्यालय में शैक्षणिक संसाधनों की कमी

  • कैंपस की स्वायत्तता और शैक्षणिक स्वतंत्रता

  • जाति, वर्ग और जेंडर समानता

  • बेरोजगारी और आर्थिक संकट का असर

  • देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में छात्रों की भूमिका

यह कहा जा सकता है कि यह चुनाव सिर्फ कैंपस प्रशासन से जुड़ी मांगों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई।

रुझान क्या कह रहे हैं?

वर्तमान में शुरुआती रुझान वाम गठबंधन की तरफ जाते दिख रहे हैं, लेकिन अभी अंतिम परिणाम आने बाकी हैं। ABVP भी कई पैनलों पर मजबूत चुनौती दे रही है।

मतगणना केंद्र के बाहर दोनों पक्षों के समर्थक लगातार:

  • पोस्टर अपडेट कर रहे हैं

  • स्लोगन लिख रहे हैं

  • फ्लैश मार्च कर रहे हैं

  • और सोशल मीडिया अभियान चला रहे हैं

कैंपस का माहौल उत्साह और तनाव दोनों का मिश्रण है।

अंतिम नतीजा गुरुवार शाम तक

चुनाव अधिकारियों का कहना है कि:
“गिनती पारदर्शी तरीके से चल रही है, परिणाम को लेकर जल्दबाजी नहीं की जाएगी। अंतिम परिणाम गुरुवार शाम घोषित कर दिया जाएगा।”

इस घोषणा के बाद कैंपस में प्रतीक्षा की लहर और अधिक गहरी हो गई है।

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