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भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर बड़ी प्रगति: भारत बढ़ाएगा अमेरिकी तेल आयात, कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल जाएंगे वॉशिंगटन

भारत-अमेरिका ट्रेड डील में नई शुरुआत, ऊर्जा आयात पर बड़ा संकेत

भारत-अमेरिका ट्रेड डील– भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल कल अमेरिका रवाना होंगे, जहां वे भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलकर ट्रेड डील और ऊर्जा आयात पर उच्च-स्तरीय चर्चाओं में शामिल होंगे।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, भारत ने अमेरिका से ऊर्जा आयात (विशेष रूप से कच्चा तेल) बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन बेहतर हो सकता है।


भारत बढ़ाएगा अमेरिकी तेल आयात

राजेश अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से भारत का ऊर्जा आयात घटकर 25 अरब डॉलर से 12-13 अरब डॉलर पर आ गया है।
उनके अनुसार, “इसमें लगभग 12-15 अरब डॉलर का हेडरूम है, यानी भारत इतनी अतिरिक्त खरीद कर सकता है बिना अपनी रिफाइनरियों की संरचना बदले।”

उन्होंने कहा,

“भारत एक बड़ा खरीदार देश है और हमारी रणनीति यही है कि हम अपने ऊर्जा आयात को विविध बनाएं। अमेरिका से अधिक तेल खरीदना हमारे लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद रहेगा।”

अग्रवाल के ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब अमेरिका लगातार भारत के साथ बढ़ते मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट (जो 2024-25 में 45.8 अरब डॉलर था) को लेकर चिंतित है।
भारत द्वारा अमेरिका से अधिक तेल खरीदना इस घाटे को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है।


“सही कीमत पर उपलब्धता होगी तो हम खरीदने को तैयार”

राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए तैयार है।

“अगर अमेरिका से ऊर्जा सही कीमत पर उपलब्ध होती है, तो भारत निश्चित रूप से अधिक आयात करने में रुचि रखेगा,”
उन्होंने कहा।


ट्रेड वार्ता में भारत की स्थिति और अमेरिकी प्रतिक्रिया

भारत का प्रतिनिधिमंडल पहले से ही वॉशिंगटन में मौजूद है, जहां दोनों पक्ष टैरिफ और अन्य व्यापारिक अड़चनों पर चर्चा कर रहे हैं।
राजेश अग्रवाल कल वहां पहुंचेंगे और वार्ता को आगे बढ़ाएंगे।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका फिलहाल सरकारी शटडाउन की स्थिति में है, जिसकी वजह से वहां की प्रशासनिक गतिविधियां सीमित हैं।
उन्होंने कहा,

“यह पूर्ण स्तर की बातचीत का सही समय नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच संवाद जारी है और हम मिलकर वर्तमान चुनौतियों का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं।”


बिलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) की दिशा में कदम

इस साल फरवरी में भारत और अमेरिका के नेताओं ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) पर बातचीत तेज़ करें।
दोनों देशों ने यह लक्ष्य तय किया है कि पहला चरण अक्टूबर-नवंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाए।

अब तक इस समझौते की पाँच राउंड्स की बातचीत हो चुकी है।
पिछले महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क में व्यापारिक वार्ताओं में शामिल हुआ था।


ट्रंप प्रशासन के टैरिफ विवाद के बाद रिश्तों में तनाव

पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों में कई बार तनाव देखने को मिला है।
ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 50% तक आयात शुल्क (टैरिफ) लगा दिया था। इसके अलावा रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25% अतिरिक्त ड्यूटी भी लागू की गई थी।

भारत ने इन नीतियों को “अनुचित और अन्यायपूर्ण” बताया था।
साथ ही भारतीय उद्योग जगत ने भी H1B वीजा पॉलिसी में बदलावों पर चिंता जताई थी, क्योंकि इससे भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में काम करने की राह मुश्किल हुई थी।


मोदी-ट्रंप बातचीत के बाद उम्मीद की किरण

हालांकि हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई फोन वार्ताओं ने उम्मीद की नई किरण दिखाई है।
दोनों नेताओं ने इस बातचीत में ट्रेड डील पर सकारात्मक प्रगति की इच्छा जताई और अधिकारियों को जल्द समाधान निकालने का निर्देश दिया।

सितंबर में नई दिल्ली में अमेरिकी अधिकारी ब्रेंडन लिंच (Assistant US Trade Representative for South & Central Asia) ने भारतीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।
इस बैठक में दोनों पक्षों ने “शीघ्र और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते” की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति जताई।

पिछले हफ्ते अमेरिका के भारत में नामित राजदूत सेर्जियो गोर ने भी कॉमर्स सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल से मुलाकात की और भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की।


2025 तक व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापारिक समझौता (BTA) का लक्ष्य दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
यह लक्ष्य दोनों देशों के लिए बेहद महत्वाकांक्षी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऊर्जा, टेक्नोलॉजी, फार्मा और सर्विस सेक्टर में साझेदारी बढ़ाकर इसे हासिल किया जा सकता है।

वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका लगातार चौथे साल भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बना रहा।
दोनों देशों के बीच कुल व्यापार का मूल्य 131.84 अरब डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर का था।
अमेरिका भारत के कुल निर्यात में 18% और कुल आयात में 6.2% हिस्सेदारी रखता है।


भारत के लिए क्या मायने रखता है यह समझौता

अगर आने वाले महीनों में भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर सहमति बन जाती है, तो इससे न सिर्फ दोनों देशों के आर्थिक संबंध मजबूत होंगे, बल्कि भारत को रणनीतिक रूप से भी बड़ा फायदा मिलेगा।
ऊर्जा आयात, आईटी सर्विसेज, फार्मास्यूटिकल्स और डिफेंस सेक्टर में सहयोग बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।


निष्कर्ष: नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ता भारत-अमेरिका रिश्ता

भारत और अमेरिका के बीच संबंध अब केवल व्यापारिक नहीं रहे, बल्कि वे रणनीतिक साझेदारी की दिशा में बढ़ रहे हैं।
राजेश अग्रवाल का यह दौरा दोनों देशों के बीच भरोसे और सहयोग का प्रतीक है।
यदि ऊर्जा आयात और टैरिफ के मुद्दों पर समझौता बनता है, तो यह दोनों देशों के लिए विन-विन स्थिति साबित होगी।

भारत की ओर से उठाया गया यह कदम स्पष्ट संदेश देता है —

“हम सिर्फ खरीदार नहीं, बल्कि साझेदार बनना चाहते हैं।”

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