देश

CBDT ने बढ़ाई Income Tax Audit Report Deadline — अब 31 अक्टूबर तक करें फाइलिंग!

आयकर विभाग ने करदाताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट संगठनों की मांग को ध्यान में रखते हुए income tax audit रिपोर्ट फाइल करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी है। यह राहत उन टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स के लिए खासतौर पर अहम है, जिन्हें समय पर रिपोर्ट तैयार करने में दिक्कतें आ रही थीं।

इस लेख में आपको विस्तार से बताया गया है कि टैक्स ऑडिट क्या होता है, किन लोगों को यह करवाना जरूरी है, किन दस्तावेजों की जरूरत होती है, देर होने पर क्या पेनल्टी लग सकती है और यह बदलाव ITR फाइलिंग पर क्या असर डालेगा।


टैक्स ऑडिट क्या होता है?

टैक्स ऑडिट एक तरह की वित्तीय जांच है, जो यह सुनिश्चित करती है कि किसी व्यवसाय या प्रोफेशनल की आय, खर्च और टैक्स से जुड़ी जानकारियाँ इनकम टैक्स कानून के अनुरूप हैं या नहीं।

इस ऑडिट को एक पंजीकृत चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) द्वारा किया जाता है, जो संबंधित व्यक्ति या फर्म के वित्तीय रिकॉर्ड जैसे नकदी बही (cash book), लेजर, बैंक स्टेटमेंट्स, बिक्री और खरीदी की रसीदें, स्टॉक की जानकारी आदि की गहराई से जाँच करता है।

इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य टैक्स से जुड़ी हर जानकारी को पारदर्शी बनाना और टैक्स की गणना में किसी भी गलती या गड़बड़ी को सामने लाना होता है।


किन लोगों को टैक्स ऑडिट करवाना अनिवार्य है?

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 44AB के तहत कुछ करदाताओं के लिए टैक्स ऑडिट करवाना अनिवार्य है। नियमों के अनुसार:

  • यदि कोई व्यवसायी है जिसकी सालाना टर्नओवर या ग्रॉस रिसीट ₹1 करोड़ से अधिक है, तो उसे टैक्स ऑडिट करवाना होगा।

  • अगर नकद लेनदेन कुल लेनदेन का 5% से कम है, तो यह सीमा बढ़ाकर ₹10 करोड़ तक हो सकती है।

  • किसी पेशेवर (जैसे डॉक्टर, वकील, कंसल्टेंट) के लिए टैक्स ऑडिट तब जरूरी है जब सालाना प्राप्तियाँ ₹50 लाख से ज्यादा हों।

  • इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति presumptive taxation scheme में है लेकिन उसकी आय निर्धारित सीमा से ज्यादा है या उसका मुनाफा अपेक्षित से कम है, तो भी उसे ऑडिट करवाना पड़ेगा।

इसका मतलब यह है कि हर करदाता को टैक्स ऑडिट की जरूरत नहीं है — केवल वे ही इसके दायरे में आते हैं जो उपरोक्त मानकों को पूरा करते हैं।


टैक्स ऑडिट में कौन-कौन से दस्तावेज़ों की जरूरत होती है?

ऑडिट करते समय CA को कुछ जरूरी दस्तावेजों की समीक्षा करनी होती है ताकि वह यह जांच सके कि वित्तीय लेन-देन सही तरीके से दर्ज किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:

  • नकद रजिस्टर (Cash Book)

  • खाता-बही (Ledger)

  • बैंक स्टेटमेंट्स

  • बिक्री और खरीद से संबंधित चालान

  • स्टॉक और इन्वेंटरी की जानकारी

  • खर्च, भुगतान और प्रतिपूर्ति के रिकॉर्ड

  • देनदारियाँ, एडवांस, समायोजन प्रविष्टियाँ आदि

ये सभी रिकॉर्ड यह दर्शाते हैं कि व्यवसाय या प्रोफेशनल की वित्तीय स्थिति क्या है और क्या वह इनकम टैक्स कानून के अनुरूप कार्य कर रहा है।


समय सीमा क्यों बदली गई?

पहले टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2025 थी। लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट संगठनों और अन्य पेशेवर निकायों ने आयकर विभाग से यह मांग की थी कि रिपोर्ट तैयार करने में कठिनाइयों के चलते डेडलाइन को आगे बढ़ाया जाए।

इस मांग के पीछे कुछ खास कारण थे:

  • देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं ने कारोबारी गतिविधियों और अकाउंटिंग पर असर डाला।

  • आयकर विभाग के e-filing पोर्टल में तकनीकी समस्याएँ आ रही थीं और कुछ रिपोर्टिंग फॉर्म में बदलाव के कारण प्रोफेशनल्स को समय पर रिपोर्ट तैयार करने में दिक्कत हुई।

  • कई राज्यों के हाई कोर्ट्स में याचिकाएं दायर की गईं, जिसमें CBDT से डेडलाइन बढ़ाने की अपील की गई थी।

इन सभी कारणों को देखते हुए CBDT (Central Board of Direct Taxes) ने 25 सितंबर 2025 को यह घोषणा की कि ऑडिट रिपोर्ट फाइल करने की समय सीमा अब 31 अक्टूबर 2025 तक कर दी जाती है।

यह छूट उन टैक्सपेयर्स को मिलेगी जो धारा 139(1), Explanation 2 के clause (a) में बताए गए हैं।


अगर समय पर ऑडिट रिपोर्ट नहीं दी तो क्या होगा?

यदि कोई करदाता 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं करता है, तो उसके खिलाफ धारा 271B के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।

इस पेनल्टी की गणना इस प्रकार होती है:

  • कुल टर्नओवर या प्राप्तियों का 0.5%, और

  • अधिकतम जुर्माना ₹1,50,000 तक हो सकता है।

हालांकि, कानून में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति यह साबित कर दे कि देर होने का उचित कारण (reasonable cause) था — जैसे कि बीमारी, प्राकृतिक आपदा या कोई वैध तकनीकी बाधा — तो जुर्माना माफ भी किया जा सकता है।

लेकिन इसके लिए आपको उस कारण का प्रमाण (जैसे मेडिकल रिपोर्ट, सरकारी दस्तावेज, आदि) जरूर प्रस्तुत करना होगा।


ITR फाइलिंग पर क्या असर होगा?

जो करदाता टैक्स ऑडिट के दायरे में आते हैं, उन्हें सबसे पहले ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी होती है और उसके बाद ही वे अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल कर सकते हैं।

हालांकि ऑडिट रिपोर्ट की डेडलाइन तो बढ़ गई है, लेकिन अभी तक CBDT ने ITR फाइलिंग की नई तारीख की कोई घोषणा नहीं की है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ऑडिट रिपोर्ट की समयसीमा को बढ़ाया गया है, तो संभव है कि ITR फाइलिंग की डेडलाइन भी बढ़े, लेकिन जब तक आधिकारिक घोषणा नहीं होती, तब तक पुराने शेड्यूल के अनुसार ही तैयारी करनी होगी।

इसलिए ऑडिट और रिटर्न की दोनों प्रक्रियाओं की सही समय-सीमा के अनुसार योजना बनाना जरूरी है।


कैसे करें तैयारी?

बढ़ी हुई डेडलाइन का फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि आप पहले से तैयारी शुरू कर दें। कुछ जरूरी कदम:

  • अपने सभी बैंक स्टेटमेंट्स, चालान, स्टॉक की जानकारी आदि व्यवस्थित रखें।

  • चार्टर्ड अकाउंटेंट से नियमित संपर्क बनाए रखें ताकि किसी भी दस्तावेज की कमी समय पर पूरी की जा सके।

  • आयकर पोर्टल पर आने वाले नए फॉर्म और स्कीमा अपडेट्स पर नज़र रखें।

  • अगर किसी कारण से देरी हो सकती है, तो उसका प्रमाण पहले से तैयार रखें (जैसे मेडिकल सर्टिफिकेट, आपदा रिपोर्ट आदि)।

  • ITR की अंतिम तारीख से पहले ऑडिट रिपोर्ट सबमिट करना ना भूलें, ताकि कोई लीगल या वित्तीय दिक्कत न आए।


निष्कर्ष

आयकर विभाग द्वारा टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 करना करदाताओं और प्रोफेशनल्स के लिए राहत की खबर है। इससे उन्हें रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को सावधानी से और बिना जल्दबाजी के पूरा करने का अतिरिक्त समय मिल गया है।

हालांकि यह सुविधा सभी पर लागू नहीं हो सकती, और समय पर फाइलिंग न करने पर पेनल्टी का खतरा भी बना रहता है।

इसलिए यदि आप ऑडिट के अंतर्गत आते हैं, तो अभी से अपने CA से संपर्क करें, दस्तावेज़ तैयार करें, और यह सुनिश्चित करें कि आपकी ऑडिट रिपोर्ट और ITR दोनों समय पर फाइल हो जाएँ।

Related Articles

Back to top button