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भारत का UNGA में कड़ा वार: आतंकवाद, कश्मीर और झूठी शांति की कहानी का खुलासा

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ द्वारा दिए गए भाषण पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत की स्थायी प्रतिनिधि पेटल गहलोट ने शहबाज़ के भाषण को “नाटक और झूठ का मिश्रण” बताते हुए कहा कि यह आतंकवाद को बढ़ावा देने और वास्तविक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की एक कोशिश थी।

गहलोट ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बताते हुए जिस तरह से मंच का इस्तेमाल किया, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उनके अनुसार, “कोई भी स्तर का ड्रामा या झूठ, सच्चाई को दबा नहीं सकता।”


ऑपरेशन सिंदूर पर भ्रामक दावे

प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने अपने संबोधन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए दावा किया कि इस चार दिवसीय संघर्ष के दौरान भारत के सात फाइटर जेट्स को नुकसान पहुंचा।
भारत ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने पहले ही सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट किया है कि भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन के तहत पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक बड़े सैन्य विमान को मार गिराया था।


आतंकवादी समूहों पर भारत की तीखी टिप्पणी

गहलोट ने UNGA में यह भी बताया कि 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में पाकिस्तान ने एक आतंकवादी संगठन “द रेसिस्टेंस फ्रंट” को जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की हत्या की जिम्मेदारी से बचाने की कोशिश की।

भारत का कहना है कि इसी वजह से 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की गई थी, जो पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ढांचों को खत्म करने के उद्देश्य से की गई थी।

गहलोट ने सबूतों का हवाला देते हुए कहा, “बहावलपुर और मुरिदके में मारे गए आतंकियों की तस्वीरें खुद बयां करती हैं कि कार्रवाई किसके खिलाफ थी। जब पाकिस्तान के उच्च पदस्थ सैन्य और राजनीतिक नेता खुलेआम इन आतंकियों की शान में कसीदे पढ़ते हैं, तब इस शासन की मानसिकता और नीयत पर कोई संदेह नहीं रह जाता।”


पाकिस्तान की आतंकवाद नीति पर भारत का हमला

भारत ने यह दोहराया कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित और निर्यात करने वाले देशों में सबसे आगे रहा है।
गहलोट ने ओसामा बिन लादेन का ज़िक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने उसे वर्षों तक छिपाए रखा, जबकि वह आतंक के खिलाफ जंग में सहयोगी होने का दिखावा करता रहा।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तानी नेताओं ने खुद माना है कि उनके देश में दशकों से आतंकी शिविर सक्रिय हैं। इसलिए यदि आज उनके प्रधानमंत्री मंच पर खड़े होकर आतंकवाद के विरुद्ध भाषण दे रहे हैं, तो वह दोहरा चरित्र (duplicity) दर्शाता है।


ट्रम्प की तारीफ और भारत की प्रतिक्रिया

शहबाज़ शरीफ ने अपने भाषण में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें “शांति का पुरोधा” बताया और उनके लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश की।
उन्होंने दावा किया कि ट्रम्प की पहल से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध टल सका।

भारत ने इस दावे को झूठा और भ्रामक बताया। भारत का कहना है कि युद्धविराम की प्रक्रिया दोनों देशों के डायरेक्टर्स जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत से बनी थी, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।


कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की पुरानी रट

शहबाज़ शरीफ ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया और कहा कि वहां के लोगों को संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह (Plebiscite) के माध्यम से आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए।

भारत ने इस दावे को नकारते हुए दोहराया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और यह मामला पूरी तरह आंतरिक विषय है।


पाकिस्तान की दोहरी नीति उजागर

शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है और खुद विदेशी प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित है, विशेष रूप से Tehreek-e-Taliban Pakistan (TTP) और Balochistan Liberation Army (BLA) जैसे संगठनों से।

हालांकि भारत का आरोप है कि पाकिस्तान की सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान एक तरफ आतंकवाद के खिलाफ होने की बात करते हैं, और दूसरी ओर आतंकी संगठनों को प्रशय और संरक्षण भी देते हैं।


ऑपरेशन सिंदूर और रणनीतिक पृष्ठभूमि

भारत ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य केवल आतंकी ढांचे को नष्ट करना था, न कि पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन।

वहीं, पाकिस्तान ने इसे अपने खिलाफ हमला बताते हुए UN चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत जवाबी कार्रवाई का अधिकार सुरक्षित रखने की बात कही।

पाकिस्तान ने इंडस वाटर्स ट्रीटी (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने की धमकी दी, जिसे भारत ने पूरी तरह अवैध और अनुचित बताया।


UNGA अध्यक्ष की प्रतिक्रिया

UN महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने दोनों देशों से संयम बरतने, कूटनीतिक संवाद बढ़ाने और क्षेत्रीय तनाव को कम करने की अपील की।


निष्कर्ष: शब्दों की जंग में भारत ने साधा निशाना

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का भाषण, जहां एक ओर झूठे दावों और भ्रामक बयानों से भरा था, वहीं भारत ने तथ्यों और प्रमाणों के साथ उसका मुंहतोड़ जवाब दिया।

पेटल गहलोट का भाषण भारत की रणनीतिक सोच, कूटनीतिक समझ और दृढ़ता का प्रतीक रहा।

भारत का संदेश स्पष्ट था:

“झूठ कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह सच्चाई को दबा नहीं सकता। और आतंक का महिमामंडन, कभी भी वैश्विक स्वीकार्यता नहीं पा सकता।”

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