
आखिरी तारीख से पहले ही पोर्टल ठप
ITR फाइलिंग की अंतिम तारीख से ठीक पहले इनकम टैक्स पोर्टल के लगातार ठप पड़ने से देशभर में हड़कंप मच गया। लाखों करदाता और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स लॉगिन तक नहीं कर पा रहे हैं। वहीं विभाग का दावा है कि पोर्टल सामान्य रूप से काम कर रहा है।
सोशल मीडिया पर गुस्सा फूटा
पोर्टल की दिक़्क़तों से तंग आकर कई टैक्स प्रोफेशनल्स और यूज़र्स ने X (ट्विटर) पर नाराज़गी जताई।
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टैक्सपेयर अभास हलखंडी ने लिखा – “#INCOMETAXPORTAL तीन दिन से बंद पड़ा है। सरकार डेडलाइन बढ़ाने की बजाय सब कुछ ठीक बताने में जुटी है। इससे टैक्सपेयर्स पर लेट फीस और ब्याज का बोझ बढ़ेगा।”
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CA चिराग चौहान ने कहा – “अगर पोर्टल की खराबी के बावजूद डेडलाइन नहीं बढ़ाई गई तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून की विफलता होगी। पोर्टल चार दिन से ठप पड़ा है और आज पूरी तरह बंद है।”
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टैक्स विशेषज्ञ सुधीर हलखंडी ने सवाल उठाया – “क्या नीति-निर्माताओं को वाकई पता है कि पोर्टल काम नहीं कर रहा, या उन्हें ग़लत आंकड़े और रिपोर्ट दिखाई जा रही हैं?”
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वहीं CA दिशा सहगल ने लिखा – “20 मिनट से हम ई-टैक्स पेमेंट और लॉगिन दोनों नहीं कर पा रहे। लेकिन विभाग का कहना है कि सब सामान्य है। क्या पूरे देश के प्रोफेशनल्स की इंटरनेट ही बंद है?”
विभाग का जवाब
Income Tax Department ने समस्या का हल बताते हुए यूज़र्स को ब्राउज़र कैश क्लियर करने और दूसरा ब्राउज़र इस्तेमाल करने की सलाह दी। साथ ही प्रभावित लोगों से PAN और मोबाइल नंबर के साथ ईमेल भेजने को कहा। लेकिन टैक्सपेयर्स का मानना है कि असली दिक़्क़त पोर्टल में है, यूज़र्स में नहीं।
BJP सांसद भी मैदान में
लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए BJP के कुछ सांसद भी करदाताओं के समर्थन में सामने आए।
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भर्तृहरि महताब (सांसद, कटक) ने ऑल ओडिशा टैक्स एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा।
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पीपी चौधरी (सांसद, पाली) ने टैक्स बार एसोसिएशन, जोधपुर के माध्यम से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की।
डेडलाइन पर विभाग का सख्त रुख
शिकायतों और विरोध के बावजूद विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि 15 सितंबर 2025 की डेडलाइन आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। रविवार देर रात विभाग ने यह भी कहा कि “डेडलाइन बढ़ने” की खबरें पूरी तरह फेक हैं और लोगों को केवल आधिकारिक अपडेट पर भरोसा करना चाहिए।
आंकड़ों से भी झलक रही परेशानी
13 सितंबर तक लगभग 6 करोड़ ITR फाइल किए जा चुके थे, जबकि पिछले साल 31 जुलाई तक यह संख्या 7.28 करोड़ थी। इसका सीधा मतलब है कि अभी भी करोड़ों करदाता फाइलिंग नहीं कर पाए हैं।
क्यों हुआ यह संकट?
इस बार ITR फॉर्म्स में कई संरचनात्मक बदलाव किए गए थे। इसी कारण सरकार ने पहले ही डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी थी। लेकिन पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ियों ने करदाताओं की परेशानी दोगुनी कर दी।
करदाताओं की सबसे बड़ी चिंता
अब करदाताओं के सामने दोहरी समस्या है – एक ओर पोर्टल का बार-बार क्रैश होना और दूसरी ओर डेडलाइन न बढ़ाने से लेट फीस और ब्याज का खतरा। टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स का कहना है कि जब तक पोर्टल स्थिर नहीं होता, सरकार को उन्हें अतिरिक्त समय देकर राहत देनी चाहिए।