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भारत में PMS सेवाओं का धमाका! 2025 में 27% उछाल – जानें म्यूचुअल फंड्स से फर्क और फायदे

भारत में PMS सेवाओं का बढ़ता क्रेज: निवेशकों की बदलती सोच

भारत का वेल्थ मैनेजमेंट सेक्टर 2025 में तेज़ी से बदल रहा है। खासकर Portfolio Management Services (PMS) की ओर निवेशकों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 2025 में PMS क्लाइंट्स की संख्या में 27% की बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा मतलब है कि अब निवेशक केवल सामान्य निवेश विकल्पों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि वे व्यक्तिगत और कस्टमाइज़्ड निवेश रणनीतियों की तलाश में हैं।


PMS क्या है और म्यूचुअल फंड से कैसे अलग है?

म्यूचुअल फंड में हजारों निवेशकों का पैसा एक ही फंड में लगाया जाता है और सभी निवेशकों के पास एक जैसी यूनिट्स होती हैं। इसके विपरीत PMS पूरी तरह से व्यक्तिगत निवेश रणनीति देता है। इसे ऐसे समझें – म्यूचुअल फंड बुफे डिनर जैसा है, जबकि PMS एक पर्सनल शेफ की तरह है, जो आपके स्वाद और ज़रूरत के हिसाब से खाना तैयार करता है।

PMS में निवेश करने के लिए न्यूनतम सीमा ₹50 लाख है। यही वजह है कि यह सेवा मुख्य रूप से हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के बीच लोकप्रिय है। इसके अलावा, PMS में निवेशक सीधे अपने पोर्टफोलियो की सिक्योरिटीज़ के मालिक होते हैं, जिससे उन्हें अधिक पारदर्शिता और नियंत्रण मिलता है।


PMS के बढ़ते आंकड़े

  • 2025 में PMS क्लाइंट्स की संख्या 1.5 लाख के पार पहुँच गई।

  • AUM (Assets Under Management) 2014 के ₹7.3 लाख करोड़ से बढ़कर 2024 में ₹32 लाख करोड़ हो गया।

  • COVID-19 जैसी चुनौतियों के बावजूद PMS की पकड़ मज़बूत रही।

ये आँकड़े बताते हैं कि भारत में निवेशक अब पर्सनलाइज्ड वेल्थ सॉल्यूशंस पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।


निवेशक PMS क्यों चुन रहे हैं?

  1. कस्टमाइजेशन की मांग – हर निवेशक चाहता है कि उसका पोर्टफोलियो उसकी ज़रूरत और जोखिम क्षमता के हिसाब से बने।

  2. HNIs की बढ़ती संख्या – भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से मिलियनेयर्स बनाने वाले देशों में से एक है।

  3. फ़ीस और पारदर्शिता – SEBI के नियमों ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमाई सीमित कर दी, जिससे PMS और आकर्षक हो गया।

  4. टेक्नोलॉजी का असर – डिजिटल डैशबोर्ड और रियल-टाइम ट्रैकिंग ने PMS को और सुविधाजनक बना दिया है।


PMS बनाम म्यूचुअल फंड: कहाँ है समानता?

फीचर म्यूचुअल फंड PMS ओवरलैप
एंट्री ₹500 से ₹50 लाख से दोनों प्रोफेशनल मैनेज्ड
पर्सनलाइजेशन स्टैंडर्ड पूरी तरह कस्टमाइज्ड एक्सपर्ट फंड मैनेजर
पारदर्शिता NAV आधारित स्टॉक-लेवल डिटेल SEBI रिपोर्टिंग
लिक्विडिटी हाई सीमित SWP दोनों में

दोनों ही विकल्प निवेशकों को लंबी अवधि में संतुलित ग्रोथ और व्यवस्थित निकासी (SWP) की सुविधा देते हैं।


27% की ग्रोथ का क्या मतलब है?

  • भारतीय निवेशक अब परिपक्व हो रहे हैं और प्रोफेशनल एडवाइस के लिए तैयार हैं।

  • सिर्फ म्यूचुअल फंड पर निर्भर रहने की बजाय वे विविधीकरण (Diversification) की ओर बढ़ रहे हैं।

  • भारत में अल्ट्रा-HNIs की संख्या बढ़ने से PMS की डिमांड और तेज़ी से बढ़ रही है।


आगे का रास्ता: 2025 के बाद PMS का भविष्य

  • PMS और AIF इंडस्ट्री 2028 तक 26% CAGR से बढ़कर ₹43 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।

  • आने वाले समय में एंट्री बैरियर कम हो सकते हैं, जिससे यह सेवा अपर मिडिल क्लास निवेशकों तक भी पहुँच पाएगी।

  • सेक्टर-फोकस्ड और ESG-लिंक्ड स्ट्रेटेजी जैसे नए इनोवेशन देखने को मिलेंगे।

  • AI और डिजिटल एनालिटिक्स PMS को और पारदर्शी व टेक-ड्रिवन बनाएंगे।


निवेशकों के लिए ज़रूरी बातें

  • PMS म्यूचुअल फंड का विकल्प नहीं बल्कि पूरक है।

  • ओवरलैप (एक ही स्टॉक्स दो जगह होना) से बचने के लिए पोर्टफोलियो पर नज़र रखें।

  • हमेशा ऐसे PMS प्रोवाइडर चुनें जिनका ट्रैक रिकॉर्ड मज़बूत हो और फ़ीस स्ट्रक्चर पारदर्शी हो।


निष्कर्ष

2025 में PMS क्लाइंट्स की 27% बढ़ोतरी केवल आंकड़ा नहीं है, बल्कि भारत के वित्तीय परिपक्वता का संकेत है। जैसे-जैसे HNIs की संख्या बढ़ेगी, PMS सेवाएं वेल्थ मैनेजमेंट का अहम हिस्सा बनती जाएंगी।

म्यूचुअल फंड्स और PMS दोनों का संतुलित इस्तेमाल ही निवेशकों को मजबूत और दीर्घकालिक पोर्टफोलियो बनाने में मदद करेगा।

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