
पीएम मोदी का टोक्यो दौरा: भारत-जापान साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का प्रयास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त 2025 को दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जापान की राजधानी टोक्यो पहुंचे। इस दौरान उन्होंने 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और भारत-जापान संयुक्त आर्थिक मंच को भी संबोधित किया। यह उनका लगभग सात साल बाद जापान का पहला स्वतंत्र दौरा है, जिसे दोनों देशों के बीच सामरिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
भारत – निवेश और विकास का नया केंद्र
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का भारत राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक मजबूती, पारदर्शिता और भरोसेमंद नीतियों के कारण दुनिया का सबसे आकर्षक निवेश गंतव्य बन चुका है। उन्होंने बताया कि भारत अब दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले समय में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
मोदी ने निवेशकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि भारत में पूंजी सिर्फ़ बढ़ती नहीं बल्कि गुणात्मक रूप से कई गुना बढ़ती है। पिछले 11 वर्षों में हुए सुधारों और विकास कार्यों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि भारत वर्तमान में वैश्विक GDP में 18% योगदान देता है और भारतीय बाज़ार निवेशकों को मजबूत रिटर्न प्रदान कर रहे हैं।
“Reform, Transform और Perform” की नीति
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार की “Reform, Transform और Perform” की नीति भारत की विकास यात्रा को नई दिशा दे रही है। उन्होंने जापानी निवेशकों से कहा कि भारत में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएँ हैं। यही वजह है कि भारत इन सेक्टर्स में दुनिया का सबसे भरोसेमंद निवेश गंतव्य बना हुआ है।
भारत-जापान संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और जापान का रिश्ता केवल आर्थिक और सामरिक साझेदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें सदियों पुरानी हैं। 6वीं सदी में जब बौद्ध धर्म जापान पहुँचा, तभी से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध स्थापित हुए।
पिछले दो दशकों में क्षेत्रीय और वैश्विक दृष्टिकोण में सामंजस्य ने इन रिश्तों को और गहराई दी है। आज दोनों देश एशिया और ग्लोबल साउथ के विकास के लिए एक-दूसरे के सबसे भरोसेमंद साझेदार बन चुके हैं।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का यह टोक्यो दौरा सिर्फ़ कूटनीतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आर्थिक नीतियों के लिहाज़ से भी बेहद अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और जापान की साझेदारी आने वाले वर्षों में एशिया के विकास की दिशा तय करेगी और जापानी निवेश भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को और मजबूती देगा।