TFD INDIA NEWS 24 – रिपोर्टर – खुशबू भारती
कांग्रेस पार्टी ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर लगाए आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि कांग्रेस दो सितंबर से माधबी पुरी बुच के ख़िलाफ़ मामले को उठा रही है.
कांग्रेस पार्टी ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर लगाए आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि कांग्रेस दो सितंबर से माधबी पुरी बुच के ख़िलाफ़ मामले को उठा रही है.
पवन खेड़ा ने कांग्रेस के ताज़ा आरोपों में कहा है, “माधबी जी की मुंबई में एक और प्रॉपर्टी है, जो उन्होंने ‘ग्रीन वर्ल्ड बिल्डकॉन एंड इन्फ़्रा को किराए पर दी. इस कंपनी के मालिक मुकुल बंसल और विपुल बंसल के प्रोफेशनल जीवन का एक बड़ा हिस्सा ‘इंडिया बुल्स’ के टॉप पोजिशन पर रहा है. सेबी ने ‘इंडिया बुल्स’ के कई केस देखे हैं, मतलब ‘इंडिया बुल्स’ के टॉप मैनेजमेंट में जो लोग रहे हैं, माधबी बुच अपनी प्रॉपर्टी उन्हें किराए पर देती हैं.”
पवन खेड़ा का कहना है, “यह सेबी के कोड ऑफ कंडक्ट के सेक्शन 4, 7 और 8 का उल्लंघन है. सेबी की चेयरपर्सन माधबी जी के अनलिस्टिड कंपनी में जो शेयर हैं, उन कंपनियों का पैराडाइज पेपर में नाम आता है, जिसमें प्रीडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को सरकार के स्टार्टअप फंड से पैसा मिला है. इस कंपनी के सबसे पहले शेयर ख़रीदने वालों में माधबी बुच जी का नाम है.”
इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी एक्स पर पोस्ट के ज़रिए सेबी की चेयरपर्सन पर आरोप लगाए.
राहुल गांधी ने लिखा, “सेबी अध्यक्ष माधबी बुच आईसीआईसीआई से किस बात के पैसे ले रही थीं? अध्यक्ष रहते हुए गैरसूचीबद्ध कंपनी में शेयर कैसे रख सकती थीं? उस कंपनी को ‘स्टार्टअप इंडिया’ के करोड़ों रुपए क्यों मिले? सरकार किस डर से इस पर कार्रवाई नहीं कर रही?”
पिछले हफ़्ते ही संसद की पीएसी के सामने पूछताछ के लिए माधबी बुच नहीं पहुंची थीं और तब कांग्रेस ने इसपर सवाल खड़े किए थे.
इससे पहले माधवी बुच और उनके पति धवल बुच पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर फ़ंड हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि उनकी उन ऑफ़शोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अदानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं.
इस आरोप पर सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने दो पन्नों का एक बयान जारी कर हिंडनबर्ग के दावों पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी.
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में जिस फ़ंड का ज़िक्र किया गया है, उसमें साल 2015 में निवेश किया गया था और ये माधबी के सेबी का सदस्य बनने से दो साल पहले का मामला है.